Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 20
________________ ( १७ ) वं कही ने गमागमणे लोवे. करेमि नंते सघलीमां ' जाव नियमं - ' ने ठेकाणे 'जाव पोसह' कहे, प्रतिक्रमण करी रह्या पछी सामायिक पारवाने बदले चार पहोरना पोसहवाला पोसह पारे तेनी विधि प्रमाणे, पोसह पारवानी विधि. मा० दश इरियावदी पक्किमी, चक्कसायर्थी जयवीराय पर्यंत कहीने, खमा० वा० मुहपत्ति प मिलेहुं ? इछं कही मुहपत्ति पमीलेहवी. पढी खमा० वा० पोसह पारुं ? यथाशक्ति खमा० वा० पोसह पारथो तह त्ति कही नवकार गणी चरवला उपर जमणो हाथ स्थापी ने सागरचंदो कहे. सागरचंदो. सागरचंदो कामो, चंदवमिंसो सुदंसणो धन्नो ॥ जेसिं पोसपमा, खंमिया जी वियंते वि ॥ १ ॥ धन्ना सलाह णिजा, सुलसा आणंद कामदेवाय ॥ जेसिं पसंसइ जयवं, दढवयं तं महावीरो ॥ २ ॥ पोसह विधिए लीधो, विधिए पार्यो, विधि कर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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