Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 15
________________ (१३) लोगस्स कही, खमा० दश्, श्वा० चैत्यवंदन करूं ? श्वं कही जगचिंतामणीनुं चैत्यवंदन ( जयवीयराय संपूर्ण कहेवा सूधी ) करवु. वीशेष सभ्वाय न करवी. पनी खमा श्वाण सकाय करूं ? श्वं कही एक नवकार गणीने मन्ह जिणाणंनी सजाय कहेवी. पड़ी खमा श्वा० मुहपत्ति पडिलेहुँ ? श्वं कही मुहपत्ति पडिलेहवी. पठी खमा श्वा पञ्चकाण पारूं? यथाशक्ति. खमा० श्ला पञ्चरकाण पारयुं. तहत्ति कही, जमणो हाथ मूठी वालीने चरखला उपर स्थापी, एक नवकर गणीने जे पञ्चकाण करयुं होय ते नाम लश्ने नीचे प्रमाणे पार. ___“जग्गए सूरे नमुकारसहिथं पोरिसिं साढपोरिसिं सूरे जग्गये पुरिमट्ठ मुहिसहिथं पञ्चरकाण कर्यु चनविहार; आंबील, नीवी, एकासणुं कर्यु. तिविहार. पञ्चरकाण फासिवे, पालिश्र, सोहिणं, तिरिक्षं किट्टिकं, श्राराहियं जं च न राहिथं तस्स मिला मि मुक्कडं." (तिविहार उपवासवालाने नीचे प्रमाणे) “ सरे जग्गये उपवास कर्यो तिविहार; पोरिसि प Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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