Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 4
________________ पोसह तो सर्वथीज थइ शके ले. श्राहारपोसहमां चविहार उपवास करवो ते सर्वथी अने तिविहार उपवास, आयंबिल, नीवी, एकास' कर, ते देशथी समजवो. मात्र रात्रीना चार पहोरनुं पोसह करनारे पण दिवसे एमांगें कांश पण व्रत करेलु होवू जोशए एवो नियम . ___ पोसह करवाने श्छनारें प्रजातमां वहेला ऊठीने राश्पमिकमपुं जरूर करवू जोशए. विधिना जाण श्रावको तो पमिलेंहण श्रने देववंदन पण ते साथेज करे ले. त्यार पड़ी जिनमंदिरनी जोगवा होय तो जिनपूजा करीने पड़ी उपाश्रये श्रावी गुरुसमद पोसह ऊच्चारवो. तेमां प्रथम पमिलेहण न करनारे या प्रमाणे विधि करवी. पोसह लेवानी विधि. प्रथम खमासमण दक्ष, प्रगट "लोगस्स" कहेवा पर्यंत शरियावहि पमिकमी, “श्लाकारेण संदिसह भगवन् पोसह मुहपत्ती पमिलेहुं ? ". एम बोले, गुरु 'पमिलेहे ' एम आदेश आपे एटले * आ प्रमाणें बीजे ठेकाणे पण मुरुना योग्य आदेश जाणी लेवा. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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