Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 9
________________ त्यार पठी पूर्वोक्त विधिये पोसह लेवो, पण तेमां पमिलेहण न करवी, अने काजो न लेवो. डेवटे विधि करतां जे कांश अविधि थप होय तेनो 'मिछामि मुकर्म दश्ने देव वांदवा, अने सफाय करवी. प्रथम जणाव्या प्रमाणे प्रातःकाले राममिकमणुं करबुज जोइए, पण कोश्नाथी बनी शक्यु न होय तो तेणें पमिलेहण करी, पोसह लश्ने, देव वांद्या अगाउ प्रतिक्रमण करवू. तेमा प्रथम रियावही पमिकमीने ( मुहपत्ति पमिलेंहवा विगेरे क्रिया करया विना ) खमासमण दर, आदेश मागीने, कुसुमिणनो काउसग्ग करवो, अने आगल सात लाख अढार पापस्थानकने बदले. श्वा० गमणागमणे आलो ? छ कहीने गमणागमणे कहेवा. गमणागमणे. समिति, जापासमिति, एषणासमिति, श्रादाननंममत्तनिखेवणासमिति, पारिष्ठापनिकासमिति, ए पांच समिति, मनगुप्ति; वचनगुप्ति. कायगुप्ति ए त्रण गुप्ति, अष्ट प्रवचन माता; श्रावक तणे धर्मे, सामायक पोसह लीधे, रूमीपरे पाली नही, खंमन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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