Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 05
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 6
________________ प्लाज्मा कहते हैं, लेकिन इसका सही अभिप्राय है, प्राण इस ऊर्जा एलान वाइटल, या जिसे ताओवादी 'ची' कहते हैं, का अब चित्र खींचा जा सकता है। अब यह करीब-करीब वैज्ञानिक बात है। और सोवियत रूस में एक बड़ा अविष्कार किया गया है, वह यह कि इस के पूर्व तुम्हारा भौतिक शरीर किसी रोग से पीड़ित हो, ऊर्जा शरीर इससे छह माह पूर्व ही पीड़ित हो जाता है। फिर यही भौतिक शरीर को घटता है। यदि तुम्हें टीबी या कैंसर या कोई और बीमारी होने वाली हो तो तुम्हारे ऊर्जा शरीर में छह माह पूर्व से इसके लक्षण दिखने लगते हैं। भौतिक शरीर का कोई परीक्षण, कोई जांच कुछ नहीं दर्शाता है, लेकिन विद्युत शरीर इसे दिखाने लगता है। पहले यह प्राणमय कोष में प्रकट होता है, तभी यह अन्नमय कोष में प्रविष्ट होता है। अत: अब वे कहने लगते हैं कि बीमार पड़ने से पूर्व ही किसी व्यक्ति का इलाज करना संभव है। यदि ऐसा संभव हो गया तो मानव-जाति रोगी नहीं होगी। इसके पहले कि तुम अपनी बीमारी के बारे में जानो, किरलियान विधि द्वारा लिए गए तुम्हारे फोटो बता देंगे कि तुम्हारे भौतिक शरीर को कोई बीमारी होने वाली है। इसे प्राणमय कोष में ही रोका जा सकता है। यही कारण है कि योग में श्वसन की शुद्धता पर इतना ज्यादा जोर दिया जाता है। क्योंकि प्राणमय कोष एक सूक्ष्म ऊर्जा से निर्मित है जो श्वास के साथ तुम्हारे शरीर के भीतर संचारित होती है। यदि तुम ठीक से श्वास लेते हो तो तुम्हारा प्राणमय कोष स्वस्थ, समग्र और जीवंत रहता है। ऐसा व्यक्ति कभी थकान अनुभव नहीं करता, वह सदा कुछ भी करने को तत्पर रहता है, ऐसा व्यक्ति सदा प्रतिसंवेदी रहता है, सदा ही वर्तमान पल की प्रतिसवेदना हेतु इस क्षण की चुनौती स्वीकारने के लिए तैयार रहता है। वह सदा तैयार है। तुम उसे किसी भी क्षण बिना तैयारी के नहीं पाओगे। ऐसा नहीं है कि वह भविष्य की योजना बनाता है, नहीं, बल्कि उसके पास इतनी ऊर्जा है कि जो कुछ भी हो ह प्रतिसवेदना हेतु तैयार है। उसके पास ऊर्जा का अतिरेक होता है। ताई ची प्राणमय कोष पर कार्य करता है। प्राणायाम प्राणमय कोष पर कार्य करता है। और यदि तुम जानते हो कि प्राकृतिक रूप से श्वास कैसे ली जाए, तो तुम अपने दूसरे शरीर तक विकसित हो जाओगे और दूसरा शरीर पहले शरीर से अधिक ताकतवर है और दूसरा शरीर पहले शरीर की तुलना में ज्यादा दिन जीवित रहता है। जब कोई मरता है तो लगभग तीन दिन तक तुम उसका बायो- प्लाज्मा देख सकते हो कभी कभी इसे गलती से उसका भूत समझ लिया जाता है। भौतिक शरीर मर जाता है, लेकिन ऊर्जा शरीर सतत गतिशील रहता है। और जिन लोगों ने मृत्यु के बारे में गहरे प्रयोग किए हैं, वे कहते हैं कि जो व्यक्ति मर गया है उसे यह विश्वास करने में कि वह मर गया है, तीन दिन तक बहुत कठिनाई होती है, क्योंकि वही रूप पहले से ज्यादा जीवंत, पहले से ज्यादा स्वस्थ, पहले से ज्यादा सुंदर उसके चतुर्दिक होता है। यह इस पर निर्भर है कि तुम्हारे पास कितना बड़ा बायोप्लाज्मा है, यह तेरह दिन या और ज्यादा भी अस्तित्व में रह सकता है।

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