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एटलुज नहिं पण पाटणना चौलुक्य राजाओए आसपासना देशो जीती पोतानी राजसत्तानो विशेष वधारो करवा मांड्यो जे कुमारपाल सुधी चालु रह्यो,कुमारपाल जे चुस्त जैनधर्मी हतो, तेणे पोते पण अनेक लडाइओ करी उत्तर मारवाड, कोंकण विगेरे अनेक देशोना राजाओने जीतीने गुजरातना महाराजाधिराज तरीके पोतानी सत्ता सर्वोत्कृष्ट बनावी हती, परंतु गुजरातनी उन्नतिनी आ छेल्ली हद हती, ए पछीना गुजरातना राजाओए पोतानो सत्ता वधारी होय एम इतिहास जणावतो नथी. आ तो राज्यसत्तानी वात थइ पण गुजरातमां अने खास करीने पाटणमां जैनधर्मनी प्रबलता पण ओछी न हती, चावडावंशना तमाम राजाओ जैनधर्मना पालनारा नहिं तो उपासक तो अवश्य हता, मंत्रिमंडल अने बीजा राजकर्मचारियो पण प्रायः जैनो होइ प्रजानो अन्यधर्मी वर्ग पण जैनधर्मने पूज्य दृष्टिथी जोतो, आ स्थिति चौलुक्य पहेला भीम सुधी चालती रही, भीमना वखतमा तेना वीर दंडनायक विमल अने राजा वच्चे वैमनस्य उत्पन्न थतां पाटणनी जैन प्रजाने कंइक धक्को पहोंच्यो होय तो बनवा जोग छे. एम कहेवाय छे के दंडनायक विमलने विषे राजा भीमना मनमां कंडक विपरीत भाव उत्पन्न थयो, चतुर अने मानी विमलने राजाना मननी स्थितिनुं ज्ञान थतां दिलगीरी अने दयानुं पात्र न बनतां ते गुप्तपणे पाटणनो त्याग करी चाली निकल्यो, अने तेणे आबुना दक्षिण कटिभागमा बसेली चंद्रावती नगरीमा आवीने निवास कर्यो, चंद्रावतीनो