Book Title: Patan Chaitya Pparipati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 41
________________ पवादो १ our or naruwar नं० वा० प्र० । नं. वा . प्र. ३० कसुंबीयावाडो ४३ कुंभारीयापाडो २ ३१ अवजी महेतानो पाडो १ ४४ तंबोलीवाडो २ ३२ बलीया पाडो १ ४५ कपुरमहेतानो पाडो २ ३३ चोखावटोआनो पाडो ३ ४६ खेजडानो पाडो ३४ केशुशेठनो पाडो ४७ तरभेडावाडी ३५ निशालनो पाडे ४८ भंसातवाडी ३६ लखीयारवाडी ४९ शाहबाडो ३७ मल्यातनो पाडो ५० सानो पाडो २ ३८ जोगीवाडा .. ३९ फोफलीआवाडो ५१ वडीपोसालनो पाडो ६ ४० सोनीवाडो ५२ टांगडीआवाडा १० ४१ मणीआती पाडे। ३ ५३ खराखोटडीनो पाडो ३ ४२ डंक महेतानो पाडो २५४ अष्टापदजीमी खडकी ४ उपरना कोष्टक उपरथी जणाशे के वर्तमान समयमां पाटणना ५४ चोपन वासोमां कुल १२९ नी संख्यामां जैन. मंदिरो विद्यमान छे. जेमां मुख्य मंदिरो बा देहराओनी संख्या ८५ पंचाशीनी छे अने बाकीनां ४४ आश्रित चैत्यो वा देहरासरी छे के जेमां घणे भागे घरमंदिरोनो पण समावेश थइ जाय छे, आ उपरथी घरदेहरासरो केटलां बधां उठी गयां छे तेनो ख्याल आधी जशे. - आ घटाडानां त्रण कारणो मानी शकाय. १ जैनसमाजमां धर्मश्रद्धा अने देवपूजा-भक्तिनुं कमी थq, २-श्रावकोनी

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