Book Title: Patan Chaitya Pparipati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 81
________________ सेठि विद्याधर घरि भणी ए। चउत्रीसइ पडिमा जिनतणीए। दोसी भोजा घरि भणउंए।श्रीपास जिणेसर हुथुणउंए।।७५॥ दस पडिमा तिहां सोहती ए । रयणमइ एक ज मोहती ए। मफलीपुरि वामातनू ए बारइ प्रतिमा धन धनू ए॥७६॥ मोलीवाडइ दीठडा ए। पास जीराउल बइठडा ए। विब चउवीसइ जिनतणां ए । पूरइ वंछित कामणा ए॥७७॥ पाटक मांडण महितला ए । संभव जिनवर दीठला ए। नव पडिमा तिहां गुणि भरी ए। सयल लोकनइ जयकरी ए७८. धनराज देहरासर लही ए। पासप्रतिमावली तिहां कही ए। चिउंआलीस पडिमा मिली ए। रयणमइ एक ज तिहां वली ए॥७९॥ सेठि कमलसी देहरासरू ए । शांति जिनेसर मनहरू ए। छत्रीस पडिमा सुंदरू ए भविअण जननइ सुखकरू ए ॥८॥ . ॥ इंद्राणी जिन पुंषीआ ए ढाल ॥१०॥ गदावदा पाटकि आवीआ ए। भेटीआ शांति जिणंद तु । धनधन जिनवरू ए । पेषतइ परमानंद तु । भविअण जयकरू ए॥८१॥ अठावन जिनवर बंदी ए । गला जिणदत गेहि तु । धन २॥जि०॥ ८२॥

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