Book Title: Patan Chaitya Pparipati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

View full book text
Previous | Next

Page 94
________________ कुमरगिरि जिन शांति नमुंए। महिमा ए२ जिनतणउहोइ तु । वाणीइ अमृतसम भणी ए। परतर २ चैत्य विशाल तु ।। ॥ कुमरगिरि जिन शांति नमुंए । त्रूटक। नमुं शांति नवइ जिनवर । भमतीइं पंचास थुगउं । पोसालमांहि चैत्य निरूपम । शांतिजिणवर तिहां भण। छत्रीस बिंब अवर नमीइ । गभारइ ते सुख करू । पीतल-पडिमा च्यारि सई वली । छऊपरि मनहरू ॥८४॥ सोलम जिनवर बंदीइ ए । वावडी २ जिनवर सार तु । अढारइ पडिमा सुंदरू ए । वडलीय २षरतरचैत्य तु । ॥सोलम जिनवर वंदीए ए॥ टक ॥ वंदीइ ते सोलम ।जनवर । च्यालीस पडिमा जाणी। श्री जिनदत्तसूरी महिमा पूरइ । जगत्रमांहि वषाणीइ । श्री वीरचैत्य वंदउ नित्यई । मूरति अतिसोहामणी। नगीनानइ चैत्य आवी।पार्थजिन सात ज भणी ॥ ८५ ॥ नवइ नगीनइ आवीइ ए । पेषीइ २ श्री जिनशांति तु । पंचतालीस मूरति पूजीइ ए। पूजतां २ आणंद होइ तु ॥ नवइ नगीनइ आवीइ ए ॥टक ॥ नगीनइ ते नवइ आवी। बहुत्तरि जिणालुं निरषोइ । त्रण मूरति अवर पेखी । सूधउ समकित परषीइ ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130