Book Title: Patan Chaitya Pparipati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

View full book text
Previous | Next

Page 123
________________ ११७ ॥ नवकार वाली पद ॥ राग भीम पलास. भला करे फीर मुर्शदमौला, अल्ला पंढरपुरवाला-ए चाल. भला होयगा भजले माला, टल्ला भवखानेवाला-ए आंकणी नही लगती कुछ दमडी कवडी, रटनेमें प्रभु गुण ठाला, माला बनाले गुणको गाले, छोड कर दुनिया चाला ॥ भला० ॥१॥ सूत प्रमुखकी गुंथ के माला, आँकार जप ले लाला; ओंकारमें पंच परमेष्टी, हे माला गुणने वाला ॥ भला ॥२॥ अष्टोत्तर शत हे गुण इनके, उतने मणके कर व्हाला, इंस कहत है सुण बे प्यारा, घटमें घर ले गुणमाला॥भला०३॥ ॥ कार्तिक पुनम महिमा गर्भित श्री सिद्धाचल स्तवन ॥ अबमोहे डांगरियां हे जिनंदजी, ए देशी. सिद्ध गिरि शणगार, मुगुणनर सिद्धगिरि शणगारः . . दशकोटी अणगार, मु०॥ ए आंकणी ॥ ऋषभदेवना पुत्र पनोता, द्रविड नाम भुपाल. सु० जेना नामथी द्रविड देश छे,हालमां करलो ख्याल. सु०सि०॥१॥ मुख्य राजधानी के तेहनी, मिथिला अति मनोहार. मु०

Loading...

Page Navigation
1 ... 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130