Book Title: Patan Chaitya Pparipati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 101
________________ ९५ 1 आदिनाथ जगनाथनी । मूरति अतिभलीरे । मूरति० ॥ पंचाणु तिहां प्रतिमा । वंदो मनरुली रे || बंदो० ॥ ४ ॥ प्रांगडिया वाडामांही । ऋषभ सोहामणा रे । ऋषभ सो० ॥ बिंब चारसे चार के | तिहां जिनवर तणारे । तिहां जिन० ५ ॥ दोय प्रसाद कंसारवाडे हवे वंदीए रे । वाडे ह० । शीतल ऋषभ नमी सब । दुःख नीकंदीए रे || के दुःखनी० ६ ॥ प्रतिमा तेर अठासी । बेहु देहरा तणीरे ॥ के बेहु० ॥ जिन नमतां घरे | लखमी होय अति घणीरे ॥ के लखमी ०७ ॥ साहना पाडामांही। ऋषभ जुहारीएरै ।। ऋषभ जु० । प्रतिमा दोसत बासी । मन संभारीए रे || के मन० ८ ॥ वाडीपासतणो | महिमा के अति घणोरे ॥ के महिमा० । वडी पोसालना पाडा। मांही श्रवणे सुणो रे । मांहि श्र० ९ ॥ एकसो सडतालीस | जिहां प्रतिमाय के रे । के जिहां प्रति । धोमुख बंदी जिनराज । ऋषभ नमीए पछेरे ॥ ऋषभ नमी० १० ॥ दोसतने पणयालीस । जिन प्रतिमा तिहारे । के जिन प्रति ॥ पंच बंधवनुं देहरु । लोक कहे तिहारे । के लोक० ११ ॥ | · ० ढाल || २ || देशी हडीयानी ॥ देहरासर तिहां एक, देहरासर सुविशेष । शेठ भुजबलतनुं ए, के दिसइ सोहामणुं ए ॥ १ ॥

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