Book Title: Patan Chaitya Pparipati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library
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जुहारीए जिनवरनी प्रतिमा छासठ' मनने रंगे । सो प्रतिमा वायुदेवना पाडामां, धर्मजिणेसर संगे। चाचरीयामां पासजिणेसर, त्रणसे नव तिहां प्रतिमा। पारेख पदमा पोले बत्रीस जिन, फोफलीया नो महीमा॥१॥ सोनारवाडे सुखदायक श्रीमहावीर, छेतालीस प्रतिमा
पासे गुणगंभीर । खेजडाने पाडे शांतिजिनेसर पासे । एकसोने अडत्रीस प्रतिमा वंदु उल्लासे ॥ २ ॥ उल्लासे वली फोफलीयामां, पास जिणेसर देखें । एकवीस प्रतिमा पासे पेखी, पातिक सयल उवेखं ॥३॥ संभवनाथने देहरे, दोयसत त्राणु प्रतिमा सोहे । शांति जिणेसर देहरे, एकसो न जिन मन मोहे ॥४॥
॥ढाल ॥५॥ खजुरी मनमोहनपाल, एकसो सतावन श्रीजिनपास । चांदुं मन उलास तो
॥जयो० जयो०१॥ भाभो भाभामांहि बिराजे, चारसे एक प्रतिमा तिहां छाजे
१ 'बासठ' एवो पण पाठ छे. २. 'वासुदेवना' पाठांतर) ३. पोषदशमीनो महिमा। ' ( पाठांतर ). ४. 'फरी' एवो पण पाठ छे.

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