Book Title: Patan Chaitya Pparipati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

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Page 86
________________ 3 सहा धर्मसी देहरासर धुणुं ए। चंद्रप्रभा जिनवर स्वामि तु । सतालीस पडिमा वंदी ए । शवजी संघवी ठामि तु ॥ १७॥ पू० शिवादेवी नंदन चरचीइ ए । पडिमा चोंद उदार तु । रयणमय पडिमा च्यारिभणीइ ए। तेजतणउ नही पार तुा १८५० पारषि सारंग शांतिजिन ए । अठतालीस बिंब ज होइ तु । सहा कमा घरि आवी ए । शांति जिणेसर जोइ तु || १९|| पू० सतालीस पडिमा जुहारी ए । पट बि तिहां विचारि तु । रयणमय पडिमा च्यारि कही ए। रूप्पमयं एक जसार तु॥२०५० || नाचइ इंद्र आणंदस्युं ढाल ॥ १४ ॥ arrass आवs | वुहरा वीरदासनइ गेह रे । वासुपूज्य जिन पूजीइ । जिन चउवीस सुदेहरे ॥ २१ ॥ गाव २ जिनवर गुणि भरया । पामउ २ सुक्ख विशाल रे । मनमोहन जिन दीठss | हईडइ हरिष रशाल रे || आंकणी ॥ रयणमय पडिमा इक नमी । हीरा विसा घरि जेह रे । शांतिजिणेसर दस वली | दीइ निरमल देह रे ||२२|| गावु || सहि संघवी घरि भणउं । मृगलंछन जिनराय रे । छ जिनवर अवर नम्या । हस्ती चित्र सुठाय रे ||२३|| गा०|| वीर जिणेसर देहरइ | पूज्या त्रिसला पूत्र रे । च्यारि पडिमा अवर नमी । हीरजी घरि पहूत रे || २४गावु० ||

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