Book Title: Patan Chaitya Pparipati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library
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शांतिमूरति निरषी करी जी । जिनवर त्रइसठि जेह । लोंबडी पाटकि आवीइ जी।सारंगदोसी गेह ॥१॥ मु० सप्तफणामणि पासजो रे। बार जिणेसर देषि । रायचंद दोसी घरि वली जीशांति जिणेसर पेषि॥१०॥मु० सोल प्रतिमा अवर अछइ जी। रयणमयी पडिमा दोइ । शांति देहरइ हिवइ आवीइ जी।सोलम जिणेसरजोइ॥११॥सु० चौद प्रतिमा तिहां वंदीइ जी। लीजइ पूजी लाह । नवउ प्रासाद सोहामणउ जी दीठउ मननइ उछाह ॥१२॥१०
॥वीर जिणेसर दीए देसना ढाल ॥१३॥ करणा साहा पाटकि अछइ ए । शीतल जिनवर देव तु । पेपिला ऊलट अति घणइ ए । सतसठि जिनवर सेव तु ॥१३॥ पूजीजइ शीतल सुंदरू ए। सुंदरमुख जीसिउ चंद तु। तेजि दीपड़
दिनकरू ए ॥ आंकणी ॥ दोसी वीरा देहरासरू ए। श्रेयांस जिनवर सार तु । तेर प्रतिमा अवर नमुं ए-भेटू शेज-अवतार तु॥ १४॥पू०॥ दोसी वीरपाल घरि भणउं ए । ऋषभदयाल जिनदेव तु । बिंब अढार अरचीइ ए । महिता समरथ घरि हेव तु॥१५॥पू० तिहां नमुं वामानंदन ए । सतर विव वली जुहारि तु । हरिचंद घरि कुंथु जिणेसरू ए । सात पडिमा मनोहारितु॥
॥१६॥ पू०॥

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