Book Title: Patan Chaitya Pparipati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library
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महिता अबजी पाटकि जाणीइ ए। शीतल जिनवर देव तु ।
धन २॥ जि० ॥ ९३ ॥ जिनवर सात तिहां अरचीआ ए। लहु देहरइ जिन शांति तु।
धन २॥ जि०॥ ९४॥ ॥ ढाल ॥ बाहुबलि राणानी० ॥११॥ कुसुंभीआ पाटकि हिवई । दीठला शीतल देव रे । उगणीस पडिमा तिहां जुहारीइ । वारीइ दुरगति देव रे॥९५॥ पेषउ २ श्रीजिनचंद्रमा । पामउ २ सुक्ख उदार रे । भविअ चकोर जिणइ दीठडइ । उल्हसइ हईइ अपार रे। पेषु २
श्रीजिन० आंचली ॥ बीजइ देहरइ हिवइं वंदीइ । पासजिनप्रतिमा बार रे। जगपाल देहरासरि नमी । पडिमा वीस ज सार रे॥पेषु०९६॥ वाछा दोसी परि हिवइ पूजीइ । मोहनपास जिनदेव रे । सोल ज बिंब अवर नमुं । कीजइ २ भगतई सेव रे।।पेषु०॥९॥ नाकरमोदीनइ पाटकई । पूजउ २ पास जिन स्वामि रे । प्रतिमा शत वली बार भणुं । पहुचइ २ वंछित काम रेपेषु०९८ नानजी पारपि घरि वली। पूजु २ वासुपूज्य जिनदेव रे । प्रतिम सोल अवर अ छइ । धर्मसी घरि शांति देव रो।पेषु०९९ एकत्रीस जिनबिंब भाव सोउं । वंदीइ हरषि उल्हासि रे। सांडा पारषि देहरासरई । वंदउ२ श्रीजिन पास रे॥पेषु०१००

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