Book Title: Pasnah Chariu
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 7
________________ श्रद्धा-सुमन जिनका मात्र एक ही लक्ष्य था – भारत की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और उसके लिए दृढ़ संकल्प लेकर जो साधनाभावों के बीच भी समर्पित भाव से उसे साकार करने का अथक प्रयत्न करते रहे, जिन्होंने शौरसेनी जैनागमों तथा प्राकृत-अपभ्रंश की जीर्ण-शीर्ण प्राचीन दुर्लभ पाण्डुलिपियों का उद्धार तथा अधुनातम वैज्ञानिक पद्धति से उनके सम्पादन एवं प्रकाशन में अपने जीवन की समस्त ऊर्जा शक्ति खपा दी, ख्याति-कामना से दूर रहकर जिन्होंने यावज्जीवन अखण्ड साहित्य-साधना की तथा अपना बहुआयामी मौलिक चिन्तन-लेखन प्रस्तुत कर अन्तर्राष्ट्रिय प्रतिष्ठा अर्जित की, वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक दृष्टि से शिक्षण-प्रशिक्षण एवं शोध-कार्यों द्वारा जिन्होंने नयी पीढ़ी को प्रेरित-प्रोत्साहित कर उसे मार्ग-दर्शन दिया तथा समाज को नयी चेतना प्रदान की, जो धूल से उठकर सुवासित चन्दन बने और प्रतिभा-पुत्रों के माथे के तिलक बन गये, और, जिनके चरण-कमलों में बैठकर मुझे दो-चार अक्षर सीखने का सौभाग्य मिल सका, अपने उन्हीं प्रातःस्मरणीय सरस्वती पुत्रों - डॉ. हीरालाल जैन एवं डॉ. ए.एन. उपाध्ये की पावन-स्मृति में यह श्रद्धा-सुमन समर्पित है। श्रद्धावनत -राजाराम जैन

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