Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 04 Author(s): Sudarshanacharya Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas ZajjarPage 16
________________ चतुर्थभागस्य प्रतिपादितविषयाणां सूचीपत्रम् सं० विषयाः पृष्ठाङ्काः सं० विषयाः पृष्ठाङ्काः ८. अञ् ३८२/२. डाच् ४१६ ९. अण् ३८३ कर्षणार्थप्रत्ययविधिः १०. कृत्वसुच ३८४ १. डाच् ११. सुच ३.८५ यापनार्थप्रत्ययविधिः १२. धा ३८७ | १. डाच् १३. मयट ३८८ अतिव्यथनार्थप्रत्ययविधिः १४. समूहवत् प्रत्यया:+मयट् ३८८ १. डाच् ४१९ १५. ज्य: ३८९ / निष्कोषणार्थप्रत्ययविधिः १६. यत् ३९० १. डाच् ४२० १७. ज्य: ३९१) आनुलोम्यार्थप्रत्ययविधिः १८. तल् ३९२ | १. डाच् ४२१ १९. क: ३९२ प्रातिलोम्यार्थप्रत्ययविधिः २०. कन् ३९२ | १. डाच् २१. ठक ३९५ पाकार्थप्रत्ययविधिः २२. अण् ३९७ | १. डाच् २३. तिकन् ३९९ / अशपार्थप्रत्ययविधिः २४.स:+स्न: ३९९ १. डाच् ४२३ २५. तिल्+तातिल् ४०० परिवापणार्थप्रत्ययविधिः २६. शस् ४०१ | १. डाच् ४२४ २७. तसि: ४०२ समासान्तप्रत्ययादेशप्रकरणम् अभूततद्भावार्थप्रत्ययप्रकरणम् १. अधिकार: ४२४ १. च्चि : ४०८/२. समासान्तप्रत्ययप्रतिषेध: ४२६ २. च्वि: (अन्त्यलोप:) ४०९ / ३. समासान्तप्रत्ययविकल्प: ४२९ ३. साति-विकल्प: ४११ / ४. डच अधीनार्थप्रत्ययविधिः ५. अ: १. साति: ४१३ | ६. अच् ४३३ २. त्रा:+साति: ४१४ ७. अच् (निपातनम्) ४३४ सामान्यार्थप्रत्ययविधिः ८. अच् १. त्राः ४१५ / ९. अच् (निपातनम्) ४४१ ४३० ४३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 536