Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 04
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar

Previous | Next

Page 15
________________ १४ 350 .३६१ ani पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् सं० विषयाः पृष्ठाङ्काः | सं० विषयाः पृष्ठाङ्काः ३. अकच् ३२९ |७. छ: ३५५ अज्ञातविशिष्टार्थप्रत्ययविधिः ८. अण् ३५७ १. यथाविहितं प्रत्यय: (क:/अकच्) ३३२ ९. ठक् ३५८ २. ठच्-विकल्प: ३३४ | १०. ठच्-विकल्प: ३५९ ३. घन्+इलच् ३३५ | ११. ईकक् ३५९ ४. अडच्+वुच् ३३५ |१२. थाल् ५. कन् ३३७ / तद्राजसंज्ञकप्रत्ययप्रकरणम् ६. लोपविधि: ३३८/१. ज्य: अल्पार्थप्रत्ययविधिः २. ज्यट १. यथाविहितं प्रत्यय: (क:/अकच्) ३४० / ३. टेण्यण् ३६५ हस्वार्थप्रत्ययविधिः ४. छ: ३६५ १. यथाविहितं प्रत्यय: (क:/अकच्) ३४१/५. अण्+अञ् ३६७ २. कन् ३४२ | ६. यञ् ३६८ ३. र: ३४२७. तद्राजसंज्ञा ३६९ ४. डुपच् ३४३ | पञ्चमाध्यायस्य चतुर्थ : पावः ५. ष्टरच् ३४४ वीप्सार्थप्रत्ययविधिः तनुत्वार्थप्रत्ययविधिः १. वुन् ३७१ १. ष्टरच् ३४४ प्रकारार्थप्रत्ययविधिः निर्धारणार्थप्रत्ययप्रकरणम् ३७३ डतरच ३४५/२. कन्-प्रतिषेधः २. डतमच ३७५ ३. डतरच्+डतमच् ३४७ स्वार्थिकप्रत्ययप्रकरणम् इवार्थप्रत्ययप्रकरणम् ३७५ १. कन् ३४८/२. ख-विकल्प: ३७७ २. प्रत्ययस्य लुप् ३५०३. छ: ३. ढञ् | ४. छ-विकल्पः ३७८ ४. ढः ३५३ | ५. आमु ५. यत् ३५४६. अमु+आमु (छन्दसि) ३८१ ६. यत् (निपातनम्) mi ३७४ ३४६/३. कन् s ३७८ m ३५५७. ठक् ३८२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 536