Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 04
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar

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Page 13
________________ १२ २ २२८ २६१ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् । सं० विषयाः पृष्ठाङ्काः | सं० विषयाः पृष्ठाङ्काः अस्य (षष्ठी) अस्मिन् (सप्तमी) | २८. निपातनम् (स्वामिन्) २४८ अर्थप्रत्ययविधिः | २९. अच् २४८ १. मतुप् ३०. इनि: २४९ २. लच्-विकल्प: ३१. इनि: (कुक्) ३. लच् २२० / ३२. इनि: २५१ ४. इलच्+लच्+मतुप् २२१ | ३३. मतुप्-विकल्प: २५६ ५. श:+न:+इलच् २२२ ३४. इनि: २५७ ६. ण: २२३ | ३५. बादय: सप्तप्रत्यया: २५८ ७. विनि:+इनिः २२४३६. भः २५९ ८. अण २२५, ३७. युस् २६० ९. लुप्+इलच्+अण+मतुप् २२७ / पञ्चमाध्यायस्य तृतीयः पाद: १०. उरच विभक्तिसंज्ञाप्रकरणम् ११. र: २२९ ,१. विभक्ति-अधिकार: १२. म: २. प्रत्ययविधानाधिकार: २६१ १३. व:+इनि:+ठन्+मतुप | ३. इश्-आदेश: २६२ १४. व: | ४. एत-इदादेशौ २६३ १५. इरन्+इरच् ५. अन्-आदेश: २६४ १६. वलच् ६. स-आदेश: १७. निपातनम् (मतुबर्थे) | ७. तसिल् २६५. १८. इनि:+ठन्+मतुप् ८. तसिल्-आदेश: १९. इलच्+इनि:+ठन्+मतुप् ९. तसिल् २६७ २०. नित्यं ठञ् २६७ २१. ठञ् २६८ २२. यप् | १२. अत् २६९ २३. विनिः | १३. ह-विकल्प: (छान्दस:) २४. बहुलं विनि: (छान्दस:) १४. तसिलादयः २५. युस् १५. दा २७१ २६. ग्मिनि: २७२ २७. आलच्+आटच् २४७ | १७. निपातनम् (अधुना) २७३ www.jainelibrary.org २६६ १०. वल् २६९ २७० २४६ | १६. हिल् Jain Education International For Private & Personal Use Only

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