Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1213
________________ बौदि-भगव बोंदि (दे० ) उ० ३५।२०; ३६।५५,५६. अ० २८२. दमा० ५।७।१६. प० ८ बोडियसाला (दे०) व० ६२७, २८ बोढव्य (बोद्धव्य) उ० ३६।१०,७१,७६,९५,१६, १०७,११०,१३८, १७१,१८८, २०६. नं० १५४. अ० २६४३ बोधव्व (बोद्धव्य) द० ५।३४. अ० ३०६, ३८८ बोधसाला (बोधिकशाला ) ० ६।२१,२२ बोल (दे०) नि० १२२८ १७१५० बोहय (बोधक) आ० ६।११. अ० १६,२०. दसा० ७१२० १० १०,४२ बोहि (बोधि) आ० २६ ४६ ५४६. द० ५।१४८ चू० १।१४. उ० ३।१६; ८।१५ ३६।२४७ से २५६ बोह्रिदय (बोधिदय) आ० ६।११.१० १० बोहिय ( बोधिक) प० ३० बोहित (बोधिकरव) नं० ११ बोहिलाभ ( बोधिलाभ ) उ० १७/१; २६।१५. नं० ८६ से ९,९१ भ भदणी ( भगिनी) उ० २०१२७ भइता ( भक्त्वा ) उ० १५४ भय (भाग्य) उ० ३६।२२ से ४६ भइयव्व ( भक्तव्य ) उ० २८ २६; ३६।११. नं० १८।६. अ० ५५७ भंग (भङ्गः ) ० ४ सू० २१. अ० ११७,१३४, १६१,१६३,२०२,२०४. १० ३१ भंगसमुत्तिणया ( भङ्गसमुकोर्तनता) अ० ११४, ११६ से ११८,१३१,१३३, १२५,१५० १६० से १६२,१९,२०१ से २०३,२१६ भंगिय (क) क० २२८ भंगी ( भङ्गी) नं० गा० ३० भगोवदंसणया (भङ्गोपदर्शनता) अ० ११४, ११८, ११६,१३१,१३५,१३६, १५८, १६२,१६३, १६६,२०३, २०४,२१६ Jain Education International ( भंज (भ) उ० २७१७ २१६ भंजई उ० २७१४. -- भंजए मंजति नि० १२१३ भजन (भजत्) नि० १२३ भंड (भाण्ड) आ० ४।७. उ० १९२२: ३६।२६७. अनं० २२. अ० ३१२,६६४,६९०. दसा० १०।१०. व० ८५ भंडग ( भाण्डक ) उ० २४ । १३ २६।३५. ०२५६ भंडय ( भाण्डक ) उ० २६।८, २१ भंडवाल ( भाण्डपाल ) उ० २२।४५ मंडदेवालय (भाचारिक) अ० ३५६ भंडागारसाला (भाण्डाकारशाला ) नि० ६ ७ भंत ( भदन्त ) आ० १ २ ४ । १ ५।१. द० ४ सू० १० से १६,१५ से २३. उ०९।५८ १२।३०; १७।२, २०११५; २३ । २२; २६।६; २९।१ से ७२. नं० गा० २३. अ० ३९४, ३६८,४०२, ४०३,४२६, ४३३, ४४१ से ४४८, ४५०, ४५२,४५५, ४५७ से ४६४,४६६ से ४६८, ४७१,४७२,४७६, ४७७,४८१,४८२, ४८७,४६० से ४६२, ४३५, ४९७, ४९६,५०२, ५०३, ५६८. दसा० १०।२४ से ३२. ५० ६२, १८३,२२४,२३३, २३४, २३५, २३७, २३८, २६०,२६२,२७१, २७३,२७५, २७६, २८३, २८५. क० १ ३४. ० २।२४, २५.२० ३६, ११, १२:४१८, २१.२३ ७५ १०१६ For Private & Personal Use Only भंत (भ्रान्त) द० ४ सू० ६ भंस (श्) -- भं से दा० २।२१. - सेज्जा उ० १६ सू० ३. दसा० ७।३४ भक्ख ( भक्षय् ) - भक्खर उ० १1३२. भक्ते ८० ६७ भक्खण ( भक्षण) उ० २३।४६ ३६०२६७ भक्खर (भास्कर) ६०८५४. उ० २३७८ भक्खियव्व (भक्षयितव्य ) उ० २२।१५ भग (भग) अ० ३४२ भगव ( भगवत्) द० ४ सू० १ से ३ ६ ४ सू० १ उ० २ ० १ से ३ ६।१७ १६ सू० १: www.jainelibrary.org

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