Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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वंजंत-वणवराह
२५५
वज्जंत (वर्जयत) द० ५।३ वज्जकंद (वज्रकन्द) उ० ३६।६८ वज्जण (वर्जन) उ० १६।३०; २८०२८ वज्जनागरी (वचनागरी) प० १९८ वज्जपाणि (वज्रपाणि) उ० १११२३. प०८ वज्जबहुल (वज्रबहुल) दसा० ६।४ वज्जय (वर्जक) उ० ११।१३ वज्जरिसह (वज्रऋषम) उ० २२६ वज्जित्ता (वयं) उ० ३०३५ वज्जिय (वजित) द० ५६६. उ० १०।२८
२४१५,१८.५० २६ वज्जेयव्व (वर्जयितव्य) उ० १६३० वज्झ (वध्य) द० ७।२२,३६. उ० २१८ विज्झ (वध)-वज्झेह रसा०६।३ वज्झकार (वकार) अ० ३६० वजमग (वध्यक) उ० २११८ वज्झमंडण (वध्यमण्डन) उ० २११८ 1 वट्ट (वृत्)-वट्टइ द० ६।४३. उ० १७१२.
अ० ५३२.--बट्टए उ० २६।२० वट्ट (वृत्त) द० ७३१. उ०३६।२१,४३.
अ० २६२,५१३. दसा० ६।५. प० २३,२४,
वडेंसग (अवतंसक) दसा० १०।१४ विड्ढ (वर्ध)-वड्ढइ द०५।१३८.
उ० ३२।३०. नं० १८.-वड्ढउ नं० गा० ३०.--वड्ढए उ०२६।१४.
--वड्ढामो प० ५२ वड्ढइ (वर्धकि) उ०१६।६६. नं० ३८६ वड्ढण (वर्धन) द० ५।११; ६।२८,३१,३५,३६,
४२,४५,५८, ८।३६; उ० १४।४७.
प० १६३ वड्ढमाण (वर्धमान) उ० २२।२६. नं० १८ वड्ढमाणय (वर्धमानक) नं०६,१८,१९ वड्ढावइत्ताण (वर्धयित्वा) उ० ६।४६ वढि (वृद्धि) व० १०॥५ वण (वन) द० ७२६,३०. उ० २०१३६;
२३।१५; ३२।११. नं० गा० १६. अ० ३५५, ३६२,५३१,५३५. व० ६।४०,४१. नि० १२।१६; १७।१४१. दसा० १०॥३.
प०५१ वण (व्रण) अ० ५२०. नि० ३।२८ से ३३;
४१६६ से ७१; ६।३७ से ४२; ७।२६ से ३१; ११॥२३ से २८; १२॥३३ से ४०; १५२५ से ३०,१११ से ११६; १७।२७ से ३२,८१
से ८६ वणंधय (वनन्धय) नि० १६।१२ वणचारि (वनचारिन् ) उ० ३६।२०५ वणतिगिच्छा (व्रणचिकित्सा) अ०७४,६१० वणप्फइ (काय) (वनस्पतिकाय) उ० ३६।१०२ वणप्फइकाय (वनस्पतिकाय) नि० १२। वणप्फतिकाय (वनस्पतिकाय) नि० १७।१३१ वणमयूर (वनमयूर) अ० ३५५ वणमहिस (वनमहिष) अ० ३५५ वणमालधर (वनमालघर) प०८ वणराइ (वनराजि) अ० ३६२ वणलया (वनलता) प० ३२,४२ वणवराह (वनवराह) अ० ३५५
वदृत (वर्तमान) उ० २३१६०३५।१४ वट्टमग्ग (वृत्तमार्ग) दसा० १०।१० वट्टमाण (वर्तमान) उ० १११६; २६।२०,५१,
५२. नं० १८,१६. दसा० १०॥३३. प० १७,६५,८१,८२,११५,१३०,१६६;
नि०६।१६ वट्टयपोसय (वर्तकपोषक) नि० ६।२३ बट्टा (वर्तक) दसा० ६।३ वडभी (वडभी) नि० ६।२६ वडिसग (अवतंसक) प० ४४ वडिया (प्रतिज्ञा) नि०६१ से ७९% ७.१ से १२;
१११७; १९६ से १५४
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