Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 1254
________________ २६० वहण-वामणी • श२३ वहण (वहन) उ० २७।२ वाएत्तए (वाचयितुम) व० ७१ वहमाण (वहमान) उ० २७१२ वागर (वि+आ+कृ)-वागरे उ० १११४. विहाव (वाह.)--वहावेति नि० १२१४१ -वागरेइ नि० १३।१६.५० १६२. वहावेत (वाहयत्) नि० १२।४१ - वागरेति नि० १०१८.-वागरेज्ज उ० वहिय (व्यथित) उ० १९७१ वहू (वधू) अ० १६४१५ वागरण (व्याकरण) नं० गा० ३० सू०६७,८५. वहूपोत्ती (दे०) अ० ३१४१६ अ० ४६,५४८. प०६,१०६.२८८. क० ३।२३, वा (बा) द० ४।११. उ० २१४. नं० १२. अनं० २४ ६. अ० ६. दसा० ५७. क० १११. व० ११५. वागरणी (व्याकरणी) दसा० ७६ नि० ११ वागरमाण (व्याकुर्वाण) ५०६७,१२१,१३६ वा (इव) दच० ११२. उ०२।१० वागरित्ता (व्याकृत्य) प० १०६ वाइ (वादिन्) नं० १२०. ५० १०२,१२२,१३६, वागरेंत (व्याकूर्वत) नि० १०७,८3१३।१६ से १७७ २४; १७॥१३४ वाइत्तए (वाचयितुम) क०४।६,७ वाघाय (व्याघात) उ० १४१८ वाइद्ध (व्याविद्ध) आ० ४८ वाड (वाट) उ० २२।१४,१६,३०।१८ वाइय (वाचिक) आ० ४।३; ५२२. दसा० १०॥१८, वाणमंतर (वाणष्यन्तर) उ० ३४।५१; ३६।२०४, १६,२४. प०६,७५. क० ४।४,५ २०७. अ० २५४,४४५,४५६,४६४,४६५, वाइय (वादित्र) उ० १३।१४ ४६७.५० ६२ वाइय (वाचित) उ० २७।१४ वाणारसी (वाराणसी) उ० २।२,३. प० १०६, वाउ (वायु) द० ४ सू० ७. उ०६।१२; २६।३०; ११३. नि०६।२० ३६।१०७,११७,१२२ से १२४. अ० ३४२, वाणिज्ज (वाणिज्य) प० २०२ ४२२,४२४,४२६,४३१,४३६,४३८. प० ७८ वाणिय (वाणिज) उ०७।१५, २१११,३,५; ३५।१४ वाउकाइय (वायुकायिक) द०४ सू० ३. अ० २५४, वाणियकम्मत (वाणिजकर्मान्त) दसा० १०१३ २७५,४४५,४५२,४५४,४७६,४७७ वाणियगाम (वाणिजग्राम) प० ८३ वाउकाय (वायुकाय) आ० ४।८. द० ६॥३६. वाणियग्गाम (वाणिजग्राम) दसा० ५४,५ नि० १२६ वाणी (वाणी) नं० गा० ४१ वाउकुमार (वायुकुमार) अ० २५४ वात (वात) दसा० १०१२४ से ३३ वाउक्काय (वायुकाय) उ० १०८ वाद (वाद) उ०१५।१५. दसा० ४।१२ वाउद्धय (वायूद्धृत) दसा० १०।१४ वादि (वादिन) दसा० ६॥३,७ वाउमाम (वातोद्धाम) अ० ५३३ वादिय (ठाण) (वाद्यस्थान) नि०१२।२७; वाउभूइ (वायुभूति) नं० गा० २०.५० १८३ १७.१४६ वाउरिय (वागुरिक) अ० ३०२।६ वानर (वानर) अ० ५२५ वाएंत (वाचयत्) नि० ॥४८ से ५६; ७६०; वाम (वाम) ५० १० १६।३२१९१६ से २२,२४,२६,२८,३०,३२, वामण (वामन) अ० २३५ ३४,३६ वामणी (वामनी) नि० ६।२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 1252 1253 1254 1255 1256 1257 1258 1259 1260 1261 1262 1263 1264 1265 1266 1267 1268 1269 1270 1271 1272 1273 1274 1275 1276 1277 1278 1279 1280 1281 1282 1283 1284 1285 1286 1287 1288 1289 1290 1291 1292 1293 1294 1295 1296 1297 1298 1299 1300 1301 1302 1303 1304 1305 1306 1307 1308 1309 1310 1311 1312 1313 1314 1315 1316