Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1284
________________ २६० समणत्त-समलंकर ३; २।२७; ४।११; ८७,१३; ६।३८; १२।६; समणोवासिगा (श्रमणोपासिका) प० १२० १३।१२; १४।१७; १९।५।२५।२६,३०, समणोवासिया (श्रमणोपासिका) प०६६,१२०, २६।१,७४; ३२।४,१४,२१; ३६।१. १३५,१७१ नं० गा० ८ सू० ८१. अ० २१,२७,२८,३४४, समतिच्छमाण (समतिकामत) प० ७५ ३६१,४०८,४१६. दसा० ५७; ६।१८७।५; समत्त (समस्त) नं० १२०. दसा० १०.११. ८।१६।२; १०।३,५,६,११,१६,२० से ३५. प०१८४ प०१ से ४,१०,१३ से २०५१ से ५३,५५, समत्त (समाप्त) द० ८।६१. उ० २६।४३. ५७,५६ से ६१,६६ से ७३,७५ से ७८,८३ से अ० ३०७।१४ १०७,११७,१३२,१३६,१६८,१८२ से १८६, समत्तपइण्ण (समाप्तप्रतिज्ञ) प० ७३ २२३ से २२५,२२८,२२६,२८५,२८७,२८८. समत्थ (समर्थ) उ० २५८,१२,१५,३३,३७. क० ३।२८. व० ३।३ से ११,६।८,६; ७२०, नं० ३८॥ ५. अ० ४१६. दसा० १०।२४,२५, २१,२३,२४, ८।१७; १०॥३,६,१६,२५ से ३६, २७ ४१. नि०६।५ समन्नागय (समन्वागत) उ० २६।४३ समप्पिय (समपित) उ० २०११५ समणत्त (श्रमणत्व) उ० १६॥३६ से ४१ सिमभिद्दव (सं+अभि+)-समभिद्दवंति समणधम्म (श्रमणधर्म) आ०४।३,८५२. द० ८।४२. प०७४ उ० ३२।१० समणी (धमणी) अ० २७. व० ३।१२; ७२०,२१. समभिरूढ (समभिरूढ) नं० १०२. अ० ५५७, दसा० १०॥३५. प० २८८ समणुगम्ममाण (समनुगम्यमान) दसा० १०।१५. समय (समक) उ० ११३५ प०७४,१२६,१६५ समय (समय) उ० १०।१ से ३६; २६७२,७४; समणुजाण (सं-+ अनु+ज्ञा)-समणुजाणंति ३४।३३,४६,५०,५४,५५,५८,५६; ३६७,६, द०६।४८.-समणुजाणामि आ०१।२. द०४। १३,१४,५१,५२,५४. नं० १८,२८,२६,३२, सू० १०.-समणुजाणेज्जा द० ४ सू० १० ५२,५४।३, ६७. अ० १२६,१२७,१७०,१७१, समणुण्ण (समनोज्ञ) नि० २।४४ २११,२१२,२१६,२२०,३०७,४१५ से ४१७, /समणुपस्स (सम्+अनु+दश्)-समणुपस्सति ४२२,४२४,४३६,४३८,४७७,४६१,५६८,६१६. दसा० ५।७।१० दसा० ५।४।८।१,६।१,१०।१,५,३५. १०१, समणोवासग (श्रमणोपासक) नं० ८७. २,८,१६,१७,२०,४०,५६,६२,८३,६३,१०६, दसा० ६।१८. व० १३३ १०८,१०६,१११,११३,११५,१२४,१२६ से समणोवासगपरियाय (श्रमणोपासकपर्याय) १२६,१३८,१४३,१५१,१६०,१६१,१६३, १६६,१८० से १८२,२२३,२२८. व०६।४०,४१ दसा० १०॥३० से ३२ । समणोवासय (श्रमणोपासक) दसा० १०॥३१. समयखेत्तिय (समयक्षेत्रिक) उ० ३६।७ प० ६५,११६,१३४,१७० समया (समता) उ० ४।१०; १६।२५; २५।३०; समण्णागय (समन्वागत) अ० ४१६ ३२।१०१,१०७ समतलपाइया (समतलपादिका) क० ५।२० समर (स्मर) उ० १२२६ समतालपदुक्खेव (समतालपदोत्क्षेप) अ० ३०७७ /समलंकर (सम्+अलं--कृ)-समलंकरेति ७१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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