Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1291
________________ सव्वप्पण-सहस्ससो २९७ सवप्पण (सर्वात्मन्) ब० ६७,६ सव्वभक्खि (सर्वभक्षिन) उ० २०१४७ सव्वभाव (सर्वभाव) ८० ८।१६ सव्वराइणिय (सर्वरात्रिक) व० ४।१८ सव्वराईय (सार्वरात्रिक) क० २१६,७ सव्ववेहम्म (सर्ववैधh) अ० ५४३,५४६ सव्वसाहम्म (सर्वसाधयं) अ० ५३६,५४२ सव्वसुयाणुवाइ (सर्वश्रुतानुपातिन्) व० १०॥३६ सव्वसो (सर्वशस्) द. ७।१८।४७; ६।४.७. ___ उ० ११४; ६।११; २३१४१, ४६; २४।२६ सव्वातिहि (सर्वातिथि) अ० ३६१ सव्वारक्खिय (सर्वारक्षित) नि० ४१६,१२,१८, ४३,४८,५३ सव्वुक्कस (सर्वोत्कर्ष) द० ७।४३ ससंक (शशाङ्क) प० २१,२३ ससणिद्ध (सस्निग्ध) व० ६।४०,४१ ससत्ता (ससत्वा) उ० २१।३ ससमय (स्वसमय) उ० २६।६०.नं०८१ से ८५, १०१,१०३. अ० ६०५,६०६,६०८,६०६,७१४ ससमयपरसमय (स्वसमयपरसमय) नं० ८१ से ८५ ससक्ख (स्वसाक्ष्य) ६० ५।१३६ ससग (शशक) दसा० ७।४ ससरक्ख (ससरक्ष) आ० ४१५. द० ४ सू० १८, ५७, ३३,८१५. उ०१७।१४. दसा० २।३; ७।२२. २०१४०,४१. नि० ७७०,१३।३; १४।२२; १६।४३; १८१५४ ससरक्खपाणिपाद (ससरक्षपाणिपाव) दसा० १।३ ससविसाण (शशविषाण) अ० ५६६ ससार (ससार) द० ७.३५ ससि (शशिन्) द० ६३१५. नं० गा० १८. दसा० १०॥३. ५०४,६,२०,२६,३८,४२,४७ ससिणिद्ध (सस्निग्ध) द०४ सू० १६. दसा २॥३. ५० २६१. नि० ७।६६; १३३२; १४१२१ १६।४२; १८१५३ ससित्थ (ससिक्थ) प० २४८,२४६ ससुरय (श्वशुरक) अ० ३६२ सस्स (सस्य) अ० ५३१,५३५ सस्सामिवायण (स्वस्वामिवचन) अ० ३०८२ सस्सिरिय (सश्रीक) दसा० १०।११.५० ४ से ६, १९,२८,३६,३८,४२.७३,७४ सह (सह) द० १०।११. उ० १६; ।४६; १२।१८; १४१६,१६,५३; १९३,२११२१. प० ३१,६७ सिह (सह.)-सहइ प० ७७. -सहई द० ६।४८. उ० ३११५. -सहति दसा० ७१४. -सहे द०१०।११. सहेज्ज द० ६।४६. -सहेज्जा उ० २११६. व० १०२ सहकार (सहकार) प० २५ सहसंबुद्ध (स्वयंसंबुद्ध) आ० ६।११. उ० ६२ सहसम्मुइ (स्वसम्मति) उ० २८।१७. प० ६७ सहसा (सहसा) उ० १६।६. प० २५३ सहसागार (सहसाकार) आ० ४।६६।१ से १० सहस्स (सहस्त्र) आ० ४।६. उ०७।११, १२, ९।३४,४०; १८१४३; १९२४; २२।५, २३।३५; ३४।४१,४८,५३; ३६०५८,८०,१८,१०२,१२२. नं० २०,७६,८१ से ६१,१२३. अ०.२१६, २३१,३८२,३६१,४००,४०२,४०६,४१७१३, ४३३. दसा० १०।१८,१६. प० २७,३०,३२, ४२,६२,६३,७५,८६,९०,६१,६५,९६,११६, १२६,१३४,१३५,१३८,१४० से १४४,१५१ से १५६,१६५,१७० से १७८,१८०,१८१ सहस्सक्ख (सहस्राम) उ० १११२३. ५० ८ सहस्सगुणिय (सहस्रगुणित) अ० ४०८ सहस्सपत्त (सहस्रपत्र) नं० गा० ८ सहस्सपाग (सहस्रपाक) दसा० १०।११. ५० ४२ सहस्सपुहत्त (सहस्रपृथक्त्व) अ० ४५६,४६२ सहस्सरस्सि (सहस्ररश्मि) अ० १६,२०. दसा० ७।२०.५० ४२ सहस्ससो (सहस्रशस्) उ. ३६८३,६१,१०५, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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