Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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समुद्दपाल-सम्मत्त
२६३
समुद्दपाल (समुद्रपाल) उ० १२११४,६,२४ समुद्दपालीय (समुद्रपालीय) उ० २१ समुद्दविजय (समुद्रविजय) उ० २२।३,३६;
१० १२७,१२८ सिमुद्दिस्स (सं+उद्+दिश)-समुद्दिसंति नि० ५७.-समुद्दिस्संति जोनं० २. अ०२.
—समुद्देसामि जोनं० १० समुद्दिसंत (समुद्दिशत्) नि० ५७ समुद्दिसिय (समुद्दिश्य) नि० १४१५; १८।३७ । समुद्दिस्स (समुद्दिश्य) उ० ७.१ समुद्देस (समुद्देश) जोनं० २ से १०. अ० २ से ५ समुद्देसग (समुद्देशक) नं० ८५ समुद्देसण (समुद्देशन) नं० ८१ से ८४,८६ से ६१ समुद्धत्तुं (समुद्धर्तम) उ० २५।८ समुदर (सं+उद्+ह)-समुद्धरे द० १०।१४.
उ०६।१३ समुपेहिया (समुत्प्रेक्ष्य) द० ७१५५ समुप्पज्ज (सं+उत्+पद)-समुप्पज्ज इ नं० ८. दसा० ५।७. ५० २८३.--समुप्पज्जति प० ११.-समुप्पज्जिज्जा उ०१६ सू० ३.
-समुप्पज्जित्था दसा० १०॥२२. प० ११ व० २।२५.-समुप्पज्जेज्जा दसा० ७।२८.
क० ३।१३ समुप्पन्न (समुत्पन्न) द० ७४६. उ० १६७,८%;
२३।१०. अ० ३१३,३१६,३१८।३. दसा० ८।१.५० १,२,८,५५,८१७९७,६२, १०८,११५,१२६,१३०,१६०,१६६ समुप्पाड (सं--उत्+पावय)-समुप्पाडेइ
उ० २६१७२ समुप्पेह (समुत्प्रेक्ष्य) द० ७३ समुन्भव (समुद्भव) दसा० १०।२८ से ३२ समुयाण (समुदान) द०५।१२५; ६।४४ चू० २।५.
उ० ३५॥१६ समुल्लसंत (समुल्लसत्) प० २६ समुवट्ठिय (समुपस्थित) उ० २३।८६; २५६ समुविच्च (समुपेत्य) उ० ३२।१११
समुवे (सं+उप-1-इ)-समवेइ उ० ३२।२
-समुवेंति द० ६।१८. समुन्वहंत (समुद्वहत) अ० ३०७३ ' . समुस्सय (समुच्छ्य ) द०६।१६. उ० ५।३२.
__ अनं० ८,६ समुस्ससिय (समुच्छ्वसित) प० ५,६ समूलिया (समूलिका) उ० २३।४६ समूससिय (समुच्छ्वसित) प० ३६ समूसिय (समुच्छ्रित) दसा० १०।१४ समूह (समूह) अ० ७३. प० २८,३२ समोइण्ण (समवतीर्ण) उ० २२।२१ सिमोयर (सं+अव+त)-- समोयरइ अ० ६१४.
--समोयरंति अ० १२० समोयार (समवतार) अ० १००,११४,१२०,१३१,
१३७,१५८,१६४,१६६,२०५,२१६,६११ से
६१७ समोयारणा (समवतारणा) अ. ७१३ समोसढ (समवसूत) द. ६।१. दसा' ५।६; है।
१; १०१६ समोसरण (समवसरण) नं० ८६ से ८६, ६१; म०
३२२. दसा० ५।६. नि० १९१६ समोहण (सम्+अव+हन)-समोहणइ प०१५ समोहणित्ता (समवहत्य) प० १५
सम्म (श्रम)-सम्मइ उ० ११३७ सम्म (सम्यक) आ० ४।६।२. द० ४।६.
उ० १४१५०. नं० १२७. दसा० ४।२३.
प०७. क० ६.२. व०६।३५ सम्मंभाविय (सम्यग्भावित) व० ११३३ सम्मग्ग (सन्मार्ग) उ० २३॥६३,८६; सम्मज्जण (सम्मार्जन) अ० २० सम्मज्जिय (सम्माजित) दसा० १०७.
प० ४०,४१,६२ सम्मट्ट (सम्मष्ट) अ० ४२२,४२४,४२६,४३१,
४३६,४३८. प० ६२,२२४ सम्मत्त (सम्यक्त्व) आ० ४।६. उ० १४।२६;
२८।१५,२१,२२,२८,२६; २६।४३,५७, ३३१६
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