Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1273
________________ संघ-संजय २७६ संघ (संघ) उ० १३।१२, २३।३,७,१०,१५; ३६।२६५. नंगा० ४,५,६,८ से ११,१७; सू० १२०. व०१०।४० संघट्ट (सं-घट्ट )-संघट्टए द० ८७ संघट्टइत्ता (संघटय) द०६।३५ संघट्टण (संघट्टन) आ० ४१५,६ संघट्टित्ता (संघटय) दसा० ३।३ संघट्टिय (संघट्रित) आ० ४।४ संघट्टिय (संघटय) द० ५।६१ संघट्टेत्ता (संघटय) नि० १६॥३८ संघयण (संहनन) उ० २२।६. अ० २८२ संघवालिय (संघपालित) प० २२२ संघाइम (संघातिम, संघात्य) अ० १०,३१,५४, ७८,१०३,५६० संघाइय (संधातित) आ० ४।४ संघाडय (दे०) नि० ४।२७ से ३६ संघाडी (संघाटी) उ० ५।२१. क० ५।२०. नि. ५॥१२,१३; १२१७ संघातिम (संघातिम,संघात्य) अनं० ३. नि० १२।१७ संघाय (संघात) द० ४; सु० २३. अ० ७३,२८२, ४१६,५७१,५७२ संघायणिज्ज (संघातनीय) उ० २६।६० संचय (संचय) उ० १०॥३०; १६।३०; २०१८; २११२३. प० ३०,३१ सिंचाय (सम+शक)-संचाएइ क० ५।११. -संचाएज्जा क०६।३.-संचाएति दसा० १०।२४ संचारसम (सञ्चारसम) अ० ३०७८ संचाल (संचाल) आ० ५।३ संचाल (सं+चालय)-संचालेति नि० ११२ संचालेंत (संचालयत्) नि० ११२, ६।३; ७।१३, ८३,८४ संचिक्ख (सं+ष्ठा)-संचिक्खे उ० २।३३ -संचिक्खावेति नि०१६।२४ संचिक्खमाण (संतिष्ठमान) उ०१४।३२ संचिक्खाबेंत (संस्थापयत्) नि० १६।२४ Vसंचिण (सं+चि)-संचिणइ उ० ५।१०. -संचिणु उ० ३।१३ सचितण (संचिन्तन) उ० ३२।३ संचिणित्ता (संचित्य ) दमा० ६।४ मंचिणिया (संचित्य) उ० ७1८ संचिय (संचित) उ० ३०।६ संछन्न (संछन्न) उ० २०१३ मंजइंदिय (संयतेन्द्रिय) द० १०.१५ संजइज्ज (संजयीय) उ० १८ संजणण (सञ्जनन) अ० ३११ संजत (संयत) दमा० ५७१५; १०।२६ संजम (संयम) आ० ४।६. द० १११; २।८; ३।१; १०४।१२,१३,२७, ६।१,८,१६,४६,६०,६७; ७।४६; ८।४०,६१; ६।१३,१०१७,१०; चू०१ सू० १. उ० १११६; ३३१,२०, २०,२८%; ६।४०; १२।४४; १३।३५; १४।५; १६ सू०१ से ३; १६६५,६.३७,७७, २०१५२; २२१४३; २५.४३; २६।३२; २८॥३६; २६।१,२७,४०, ५४; ३११२; ३६।१,२४६. नं० गा० ५,९. अ० ७०८. दसा० ४।२३,१०॥३,५,६,११, ३५. प० ८१,६२,२७८. क०६।१६. व० ३१३ से ८ संजमजीविय (संयमजीवित) दचू० २।१५ संजमधुवजोगजुत्त (संयमध्र वयोगयुक्त) दसा० ४।४ संजमबहुल (संयमबहुल) दसा० ४।२३ संजममाण (संयच्छत्) उ० १८.२६ संजमसमायारी (संयमसमाचारी) दसा० ४।१५ संजय (संजय) उ० १८।१,१०,१६,२२ संजय (संयत) आ० ४।६. द० २।१०; ३।११,१२; ४ सू० १८ से २३. गा १०; २५ से ७, २२,४१,४३,४८,५०,५२,५४,५६,५८,६०,६२, ६४,६६,७,८३,८६,१०१, १०८ से १११, ११३,११५,११७,१२८,१५०,६११४,२६,२६, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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