Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1271
________________ वोस?काय-संकुल २७७ वोस?काय (व्युत्सष्टकाय) उ० १२१४२; ३५।१६. संकट्ठाण (शंकास्थान) द० ५।१५ दसा० ७।४,२६,२७,३२. ५० ७७,११४,१३०, संकण (शङ्कन) द०६३५८ १६६. व० १०।२,४ संकप्प (संकल्प) द० २।१ चू० १ सू० १. उ० वोसट्टचत्तदेह (व्युत्सष्टत्यक्तदेह) द० १०।१३ ६।५१; ३२।१०७. दसा० १०.२२,२३. ५० वोसिर (वि+उत् + सृज्)-वोसिरइ आ० ६ ११,५२,५४,५५,६६. नि०८।११,१०।२१,२४ से २८ सू० १. द० २१६. उ० २४।१८.-वोसिरामि आ० ११२. द० ४ सू० १० -संकप्प (सं+कल्पय)--संकप्पए उ० ३५७ व्व (इव) द० २६. उ० ३।१२ संकप्पय (संकल्पयत् ) उ०३२११०७ संकम (संक्रम) द० ५।४,६५. नि० ११११, २।१० सिंकम (सं+क्रम)---संकमति नि० १६।१५ शाला ( ) अ० २६८ संकमत (संक्रमत्) नि० १६।१५ शेते ( ) अ० ३६८ संकमण (संक्रमण) आ० ४।४. अ० ७१।४ श्री ( ) अ० २४६ संकममाण (संक्रामत्) दसा० २।३ संकमाण (शंकमान) उ० १४।४७ स (स) आ० ४।८. द० ४ सू० ८. उ० ११२. नं० संकमित्तए (संक्रमितुम्) क० ४।२६ ८६. अ० ६६४. दसा० १११. क० ११६. नि० संकरदूस (संकरदूष्य) उ० १२।६ संकहा (संकथा) उ०१६।३ ७७५ संका (शङ्का) द० ७।६. उ० २।२१,१६. सू०३ स (दे० अप्प) व ३४ से १२,१६।१४. अ० ३१४ स (स्व) उ० ४।३; ६।३,४; 8२६; १४।२,५; संकास (संकाश) उ० २।३; ५।२७; १६।५०; १६५३,६६; २११३; ३२।१०७. नि० ३०८० ३४।४ से;३६।६१. प० ६७,१२१,१३६, स (सह) दसा० १०.१०.५०६ १७२ स (सत्) उ० ५।२६; १२।२९; नि० १६।२६,२७. संकामिय (संक्रामित) आ० ४।४ दसा० ६१८ संकासिया (संकाशिका) ५० १६८ सइ (सदा) उ० ७।१८ संकिय (शहित) आ० ४।६. द० ५।४४,७७; सइ (स्मृति) नं० ५४१६ ७७. उ० २६।२७ सई (सकृत्) द० ५।१२. उ० ५१३ संकिलिट्ठायार (संक्लिष्टाचार) व० ३१४,६,८; सइकाल (स्मृतिकाल) द० ५।१०६ ६।१०,११; ७१ से ३ सइत्तु (शयितुम्) द० ६।५३ -संकिलिस्स (संक्लिश)--संकिलिस्सइ उ० सइय (शतिक) प० ६५ २६।५ सईण (दे०) दसा० ६।३ संकिलिस्समाण (संक्लिश्यमान) नं० १६ सउण (शकुन) उ० १६।६५. ५० ३०,५६ संकिलिस्समाणय (संक्लिश्यमानक) अ० ५५३ सउणरुय (शकुनरुत) प० १६५ संकिलेस (संक्लेश) द० ५।१६ संकेत (संक्रान्त) प० ८६,६० संकुल (संकुल) उ०६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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