Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1265
________________ विवाद-विसुद्ध २७१ विवाद (विवाद) उ० १७.१२. व० २।२५ विसम (विषम) द० ५।४. उ० ५।१४,१६; विवाह (विवाह) उ० २२०१७ १०१३३. अ० ३०७।१० दसा० ६।६७।२०. विवाहचलिया (विवाहचलिका) जोनं ६ क०६७ विविच्च (विविच्य) उ०६।१४ विसय (विषय) द० ८।५८. उ० ७।६; १९६९; विवित्त (विविक्त) द० ८।५२. उ० १६ सू० ३. २०१४४; २६।३ ; ३२।२१. अ० ४१७ गा० १,२१,२२; २६।१,३२; ३०१२८; दसा० ६।२।१२. प० २३. क. ११४७ ३२।१२. दसा १७१४. प० ५८ विसल्लीकरण (विशल्यीकरण) आ० २३ विवित्तचरिया (विविक्तचर्या) दचू०२ विसह (विषह) प० ७८ । विवित्तवास (विविक्तवास) उ० ३२॥१६ विसाएमाण (विस्वादमान) प०६६ विविह (विविध) द० ५।३६,१२७,१३३, ६ २७, विसाण (विषाण) अ० ५२५ ३०,४१,४४,८।१०,१२; ६।४।४; १०१८, विसाणि (विषाणिन) अ० ३२७ ६,१२; चू० १११८. उ० १०।२७; १५१४,८, विसाय (विषाद) अ० ३१२,३१३ ६,११,१२,१४,१५:२१।१८; ३२।१०२, विमारंत (विसारयत) उ० २२।३४ ३४।१४. नं० गा० १६ सू.. ८४,१२१. प० ४२ विसारय (विशारद) उ० २०।२२; २७।१. विवेग (विवेक) उ० ४।१०।। नं० १२७. ५०६ विस (विष) द० ८।५६; ६।६. चू० १।१२. विसाल (विशाल) उ०१३।२; १४।३. उ० ६।५३; १६।१३; १७।२०१६।११; नं० ३८१८. दसा० १०।१४.५० २३,२४, २०१४४; २३।४६; ३६।२६७. अ० ३२३. २६,२७ दसा० ६।२।३७ विसाला (विशाला) प० ११३ विसंघाय (वि--सं+घातय)-विसंघाइज्जइ विसालिस (विसदृश) उ० ३।१४ अ० ४१६ विसाहा (विशाखा) अ० ३४१. प० १०८,१०६, विसंभोइणी (विसम्भोगिनी) व०७।५ १११,११३,११५,१२४ विसंभोइय (वसंभोगिक) व०७।४ विसिट्ठ (विशिष्ठ) दसा० १०।११. प० २३,४२ विसंभोग (विसम्भोग) व० ७।४,५ विसीदंत (विषीदत्) द० २।१ विसज्जइत्ता (विसृज्य) उ० १८१८ V विसीय (वि+षद्)–विसीयई उ० ४६. विसण्ण (विषण्ण) उ० ८।५।१२।३० -विसीएज्ज द० ५।१२६ विसत्थ (विश्वस्त) प० ५,३७ विसील (विशील) उ० १११५ विसन्न (विषण्ण) उ० ६।१० विसुज्झ (वि--- शुध)-विसुज्झई द० ८।६२ विसप्प (विसर्पत) उ० ३५॥१२ विसुज्झमाण (विशुध्यमान) नं० १८ । विसप्पंत (विसर्पत) प० २२ विसुज्झमाणय (विशुध्यमानक) अ० ५५३ विसप्पमाण (विसर्पत) दसा० १०१४,६,७,१० से विसुद्ध (विशुद्ध) द०६।४४. उ० ३।१६; १२।४६, १२. ५० ५ से ७,१०,१५,३६,३८,३६,४१, ४७; २६२,१३,४३,७२. नं० गा० ४,९ ४३,४४,४७,४८,५०,५६,६३ सू० ३८. अनं० २८. अ० ३०७,५५५,५५६, विसभक्खण (विषभक्षण) नि० ११।६३ ७१५॥६. दसा० ५।७।११।१०।११. प० ११, विसभक्खि (विषभक्ष्य) उ० २३।४५ १४,५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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