Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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विइकन-विक्कंभसुइ
२६३
नं० ८५.-विआहिज्जति नं० ८५
विउविय (विक्रिय) दसा० १०।२६,३० विइक्कंत (व्यतिक्रान्त) प० २,६,१२,१४,१७, विउस्सग्ग (व्युत्सर्ग) उ० ३०।३०,३६
३८,४७,५६,६६,८१,८४,१०७,१११,११५, विउहित्ताण (व्यूह्य) द० ५२२ १२५,१३८ से १५९,१६३,१६६,१८०,१८१, विओग (वियोग) उ० ३२।२८,४१,५४,६७,८०, २२३ से २३०
६३. अ० ३१७ विइकिण्ण (व्यतिकीर्ण) क० २।१,२,८,६ विओसमणता (व्यवशमन) दसा० ४।२३ विइगिट्ठ (विकृष्ट, व्यतिकृष्ट) व० ७।१० से १४, विओसवित (व्यवसित, व्यवशमित) दसा० ११३
विओसवित्ता (व्यवशाम्य) क० ११३४ विइत्ता (विदित्वा) द० ६२
विओसविय (व्यवशमित) क० ६।१. नि० ४.२५ विइत्तु (विदित्वा) द०१०।१४. उ० १५।३ विओस वियपाहुड (व्यवशमितप्राभृत) क० ११३४; विइय (विदित) उ० १२।१३,१८।२७, २३।६१
४७ विउ (विद्वस्) उ० २१।१२; २५॥३६
विओसवेत्तए (व्यवशमितुम, वितोषयितुम् )
व० ७.१२,१३ विउंज (वि+युज्)-विउंजंति दसा० १०।२६
विछिय (वृश्चिक) उ० ३६।१४७ विउक्कम (व्युत्क्रम्य) उ० ५।१५
विध (व्य)-विधइ उ० २७।४ विउट्ट (वि+कुट्ट)-विउट्टे ज्जा क० ४।२६.
विहणिज्ज (वं हणीय) दसा० १०।११. ५० ४२ व० ११३३. -वउटैंति दसा० १०॥३४
विकत्तु (विकर्त) उ० २०१३७ विउट्टछ उम (विवृत्तछान्) आ० ६।११
विकत्थ (वि+कत्य)-विकत्थई द. ६।४४ विउल (विपुल) द० ५।१४२; ६।४।६.
विकप्पणा (विकल्पना) उ० ३२११०७ उ० ११४६; ७२,२१६।३८; १०१३०;
विकसंत (विकसत्) दसा० १०११२ १११३१; १४।३७,४६; २०११६,३२,५२;
विकहा (विकथा) आ० ४१८ २६।४३. दसा० ६।५; ६।२।१०।१०।११,१८.
विकिट्ठभत्तिय (विक्लिष्टभक्तिक) प० २४३,२४८ प०६,३२,३४,३८,४८.६६
विकोविय (विकोविद) उ० २११२ विउलट्ठाणभाइ (विपुलस्थानमागिन् ) द०६३५
विक्कत (विक्रान्त) ५० ३८,४७ विउलतर (विपुलतर) नं० २५
विक्कम (विक्रम) नं० गा० ३४ विउलतराग (विपूलतरक) नं० २५
विक्कय (विक्रय) द०७।४६; १०।१५. विउलमइ (विपुलमति) नं० २४,२५. प० १०१, उ०३५॥१३ से १५. दसा० ६.३ १२२,१७६
विक्कायमाण (विक्रीयमाण) द० ५७२ विउलमति (विपुलमति) प० १३६
विक्किण (
विकी)-विक्कणेज्जा विउवित्ता (विकृत्य) क० ५१
व० ७।२४ विउव्व (वि+कृ, वि+कुर्व)--विउव्वई विक्किणंत (विक्रोणत्) उ० ३५।१४ प०१५
विक्खंभ (विष्कम्भ) अ० ४०८,४१०,४२२,४२४, विउव्वि (विकरण) उ० ३।१५
४२६,४३१,४३६,४३८,५८६ विउवि (वधियो) उ० १३॥३२
विक्खंभइत्ता (विष्कभ्य) व०१०१३. दसा० ७५ विउव्विऊण (विकृत्य) उ० ६।५५
विक्खंभसुइ (विष्कम्मशुचि) अ० ४६३, ४६७, विउव्वित्ता (विकृत्य) दसा० १०।२७. ५० १५ ४८२,४८७,४६५.४६६,५०३
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