Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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वत्थए-वय
२५७
वत्थए (वस्तुम्) दसा० ७८. क० ११६.
व० १२० वत्थघर (वस्त्रधर) प०८ वत्थिकम्म (वस्तिकर्मन) द. ३१६ वत्थिय ( वस्त्रिक) अ० ३६० वत्थिरोम (वस्तिरोमन) नि० ३.४३,४१८१;
६१५२; ७४१,१११३८१५४०,१२६;
१७.४२,९६ वत्थु (वस्तु) नं० ५४,१०५ से ११८,१२३. अ०
३८०,५७२,७१५.४. दसा० ४।१२ वत्थ (वास्तु) उ० ३।१७; १६।१६. क. ३०,३१ वत्थविज्जा (वास्तुविद्या) उ० १५७ वत्यविणास (वस्तुविनाश) अ० ५७ विद विद्)-वएज्जा नि० ६५.-वदति दसा०
१०॥३.-वदति नि० ४१११८. प० २३७.
-वदह दसा० १०॥३.-वदासी दसा०६।२. -~-वदिज्जा दसा० ६।१८.-वदे दसा०
६।२।१२.–वदेज्जा नि०१४ वदंत (ववत्) नं० ५२. नि० ४।११८; ५।६४;
९।४; १०१ से ३,१५,१६,१११९,१०,१३।१३
से १५; १५३१ से ३,१६३१३,१४ वदमाण (वदत्) दसा० २।३ वदित्तए (वदितम) दसा० ६.१८. प० २७७ वदित्ता (वदित्वा) दसा० १०१४ वद्ध (बद्ध) उ० २६६ वद्धण (वर्धन) उ० २६६. दसा०६२।३५. १०
वधू ( ) अ० २६६ वधूहते ( ) अ० २६६ वन्न (वर्ण) नं० गा० ३७ वप्प (वप्र) नि० १२।१०; १७:१४० Vवम (वम)-वमइ उ० १११७.-वमे
द० ८।३६. दसा० ।।३७ ।। वमंत (वमत्) उ० १२।२५,२६ वमण (वमन) उ०११८. नि० १३१३६,४१ वमित्ता (वान्स्वा) उ० १४१४४ वम्मधारि (वर्मधारिन्) उ० ४१८ (वय (वच्)-वएज्जा द० ४ सू० १२.
-वक्खामो द० ७१६-वच्छं उ०२६।११. -वृच्छामु उ० १३।१६.-वृच्छामि
उ० ३०।२६.-वोच्छामि अ० २६४ Vवय (वद)-वए द० ५।१२६. उ०१११४.
-वएज्ज द० ७।३३. उ० १२४१.-वएज्जा द० ७५२. अ० १६. २०१२०. प० २३७.
-वयइ उ० १५१९. दसा० ४।२।२६. ५० २८२. व० २।२४. नि० २।१८.-वयंति उ. १२।३८. अ० ३९८.-वयति नि० २।१८. वयसि प० २८२. वयह प०७.-वयासि दसा० ५७.-वयासी उ०१४॥८.नं. ५२.
अ० ४१६. प०७ वय (वत) द० ४ सू० १६,५११०६७,६२. उ०
११४७; २०१४१; २११११, २२।४०; २९।१२;
३११७ वय (वचस्) ८० ५।१४६, ६।१७,२६,२६,४०,
४३; १०१७. उ० ५।१०।८।१०।१४१८
१५॥१२; २४१२३, २६४५८ विय (व)-वए उ० १४१४८.-वयह उ.
६।५४.-वयाहि द० ७४४७ वय (वयस्) उ० १४।३२,२०११६. नं० गा० २५
सू० ३८।१०. अ० ३१६. दसा० १०१३३ वय (व्यय) उ० ३२।२८,४१,५४,६७,८०,९३.
६२
वद्धमाण (वर्धमान) आ० २।४; १४१४. उ०
६।२४; २३१५,१२,२३,२६. नं० गा० १६. अ० २२७,२२८. दसा० १०।१४,१८. ५० ५२,६६,
वद्धमाणग (वर्षमानक) प० ७४ वद्धमाणसामि (वर्द्धमानस्वामिन्) नं ७६ विद्धाव (वर्धय)-वद्धावेइ प० ५.--वद्धावेंति
दसा० १०१६. प०४४ वढ़ावेत्ता (वर्धयिस्वा) दसा० १०॥६. प० ५
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