Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1250
________________ २५.६ वणविदुम्ग ( वनवदुर्ग) व० ९ ४०, ४१. नि० १२।१६, १७।१४१ वड ( बनवण्ड) नं० ३८३,०६ से ८६,११. अ० ३६२. प० ५१ वसई (वनस्पति) द० ४ सू० ८ ६।४० से ४२. उ० २६।३० artaइकाइय ( वनस्पतिकायिक) द० ४ सू० ३. अ० २५४, २७५, ४४५, ४५१, ४८०,४८१ वणस्सइकाय (वनस्पतिकाय) आ० ४८. उ० १०१६ वणहत्थि (वनहस्ति) अ० ३५५ वणिमय ( वनीपक) द० ५।५१, दा० ७५ वणिव (वणिज् ) उ० ७११४ ६६ १४१३० वणीमंग (वनीपक) ६० ५।११०,११२. ० १०१३ वणीमगपिंड (वनीपकपिण्ड) नि० ८।१८; १३६५ वणीमय (वनीपक) द० ६।५७, व० १०१३ वण (वर्ण) द० ९४ सू० ६,७. उ० ६।११: ७।२७ १३२६, १९५५,६१ २०१६: २८।१२; २६।५; ३०।२३; ३२ २०; ३४।२. अ० २५७, २५८, २७६,५०८,५०६. दसा० ६ |५०; ६।२।३३. प० २०, २५, २६, ४०,६१,६२. नि० १०५३।१६,२५,३१,५३, ६२, ४५७, ६३,६६,६१,१००; ६।६, २८, ३४, ४०,६२,७१; ७११७,२२,२९,५१,६०, ११।१०, १४, २०, २६,४८,५७,७४; १४ । १४, १५, १८, १६, १५ १६,२२,२८,५०,५६,१०२, १०८, ११४, १३६, १४५; १७ १८,२४,३०,५२,६१, ७२,७८,८४,१०६, ११५ १६४६, ४७, ५०, ५१ वण्ण (वर्णय् ) वण्णस्यामि अ० ७१४ aur ( वर्णक ) दसा० ५०४, ५, ६ १०; १० १,२ यष्णओ (वर्णतस् ) उ० ३४१४ वण्णग (वर्णक) दसा० ६।३; १०।११. प० ४२ वष्णमंत (वर्णवत्) नि० १४:१० ११ १६४२, ४३ वण्णव (वर्णवत्) उ० ३।१८ Jain Education International वर्णविदुग्ग-वत्व वणवा (वर्णवादिन्) दा० ४।२२ वणवाति ( वर्णवादिन् ) दस० ४।२२ वण्णसंजणता (वर्णसंज्वलन) दसा० ४।१९,२१,२२ वणिय ( वर्णित ) द० ६।२२. उ० ३४ । ४०, ४४, ४७. नं० २२. अ० ७४ वणिया (वणिका) द० ५।३४ वहिदा ( वृष्णिदशा) नं० ७८. जोनं ० ६ वपुंगव ( वृष्णिपुंगव ) उ० २२।१३ बत्त ( व्यक्त) अ० ३०७१६. नि० १६।२३ वत्त ( वर्त) दसा० १०।१४. प० २२२ वत्त (बुत) - वतेति दसा० ६।३ वत्तणा ( वर्तना) उ० २८।१० वत्तमाणप (वर्तमानपद) नं० १०२ वक्तव्व ( वक्तव्य ) द० ७ ११. व० ८ १७; ६।४२, ४३. दसा० ६।१८. १० २३७,२८२ वत्तवया (वक्तव्यता) अ० १००, ६०५ से ६०९, ७१५६ वति (वृत्ति) दचू० १ १५ वत्तिय (वर्तित ) आ० ४ ४ वत्तिय (प्रत्यय) व० १२० से २२ ४१११,१२: ५।११,१२. दा० ६३ बत्तियागार (वर्तिताकार) आ० ६२ से १० यत्तु ( वक्तृ) दसा० ३।३ बत्तुं वक्तुम्) अ० ५५७ वत्थ (वस्त्र) द० २।२४ सू० १५, १६, २३; ५।१२८ ६।१६,३८, ४७. उ० २।१२; २६।२३, २४ ३०।२२. अनं० २१. अ० १९,१८५३, ३०२, ५२४,६६३,६०१. दसा० १०।१२,२४. प० ४२, ४४, ४८, ६१, ६४,६६, ७५, २७७, २८६. क० ११३८ से ४१,४३; २।२५ ३७ से १०, १४, १५. नि० १।२७, २८, ४७ से ५२, ५४; २०२३ ५।६५ ६।१९ से २४७८८,८१ १२ ६ १५।७७,८०,८१,८४,८५,८८,०१, १२, २,९६ से १८१५३, १५४; १६ १६, २०, २६; १८।३३ से ७३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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