Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1216
________________ २२२ भव-भायण उ० १३।२२. नं० ४७. अ० २८. दसा० ६१७. भवसिद्धिय (भवसिद्धिक) उ० ३६।२६८. प० ५१. व० ३६.-भवति अनं० ६. नं० ६६,१२४. अ० २८८ दसा० १॥३. प० २६४.-भवतु दसा० १०१४. भवित्ता (भूत्वा) उ० २०४१. दसा० ८।१. प० १ -भवामो उ०१४।२८. --भवाहि भवित्ताण (भूत्वा) उ०१४।१ उ० ६।४२.- भविस्सइ नं. १२६. भवित्ताणं (भूत्वा) द० ४।१८ अ० १७. ५० ५. व० ८।२.-भविस्सई भविय (भव्य) नं० १२४ उ०२१४५.- भविस्सति अनं० ६. भविय (भविक, भव्य) नं० गा० ३७. अ० ५६९।४ दसा० १०॥३२.-भविस्ससि उ०६५. भवियसरीर (भव्यशरीर) अनं० ७,६. अ. १५, --भविस्सामि दसा० १०॥३१.-भविस्सामु १७,३६,३८,५६,६१,८३,८५,१०८,११०, उ. १४११७.-भविस्सामो उ०१४।४५. ५६५,५६७,६१२,६२५,६२७,६३७,६३६, -भुवि नं० १२६.-भवे उ० ५।३. ६४६,६५१,६७५,६७७,७०२,७०४ अ० २३६.-भवेज्ज अ० ४३६ भविस्स (भविष्य) प० ११,१४ भव (भव) उ०६।२२; १०१४,१५,१३।२४; भव्व (भव्य) प० ११,१४ १४०; १८१७,२६; १९६१६,२१,७४; भस (भाष्)-भसे दसा० ६।२।१४ २२२४; २३१८४; २६४१,६१, ३०।६; भस्स (भ्रश)-भस्सई द०६७ ३२॥३४,४७,६०,७३,८६,६६; ३४१५८,५६; भाइणेज्ज (भागिनेय) द० ७।१८ ३६।६३,६४. अ० ७१३. दसा० ५।७।१५ भाइणेज्जा (भागिनेयी) द० ७.१५ भाइल्ल (भागिक) दसा०६।३ भव (भवत) उ० १२।१०,४५. अ० ५५५,५५६ भवंत (भवत्) द. ६।२८।१ भाउय (भ्रातृक) अ० ३६२ भवक्ख य (भवक्षय) दसा० १०२४ से ३२.५०२ भाग (भाग) उ० २६।११,१७,३४१५२; भवग्गहण (भवग्रहण) उ० १०।१३,१४, २६।२. ३६।१६१. नं० १८,२०,२५. अ० १२१,१२४, दसा० १०॥३२. ५० २८७ १२५,१२८,१३८,१४१,१४२,१४५,१६५, भवण (भवन) उ० २२।१३. नं० गा०४. १६८,१६६,१७२,२०६,२०६,२१३. प० १३०, अ० २८७,४१०. दसा० १०॥१६. प० २०, १६५. नि० २।३४ ४४,५०,५१,५४,६१,७५ भागवय (भागवत) नं० ६७ भवणवइ (भवनपति) उ० ३४।५१. प० ६२ भागि (भागिन) उ० २६४५. ५० ८२ भवणवासि (भवनवासिन) उ०३६।२०५,२०६. भाणितव्व (भणितव्य) दसा० २६ अ० २५४ भाणियव्व (मणितव्य) अ० १२५. दसा० ॥४. भवतण्हा (भवतृष्णा) उ० २३१४८ प० १११,१२७. नि० ४१३८ भवति ( ) अ० ३६८ भाणु (भानु) उ० २३१७६,७७ भवत्थकेवलनाण (भवस्थकेवलज्ञान) नं २ २६,२७ ।। भाय (भ्रात) उ० ११३६, ६।३; १३।२२. भवधारणिज्ज (भवधारणीय) अ०४०२ से ४०४ दसा०६।३. प० ७०. क० ४।१०. व०७/२५ भवपच्चइय (भवप्रत्ययिक) नं० २२ भाय (भाग) उ० २६।१७. प० ६५ भववक्कंति (भवावक्रान्ति) प० २,१०६,१२७, भाय (भी)-भायए द० १०।१२ भायण (भाजन) द० ५।३२,३५,३६,६६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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