Book Title: Navsuttani
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1227
________________ मरणकाल-महता २३३ मल्लदेव (मल्लदेव) अ० ३४५ मल्लधम्म (मल्लधर्म) अ० ३४५ मल्ल रक्खिय (मल्लरक्षित) अ० ३४५ मल्लसम्म (मल्लशर्मन) अ० ३४५ मल्लसेण (मल्लसेन) अ० ३४५ मल्लि (मल्लि ) आ० २।४।५।४।४. नं० गा० १६. अ० २२७. दसा० १०॥१४. प० १४२ से १५० मल्लिया (मल्लिका) प० २५ मिव (मापय)-मविज्जति अ० ३१२ मस (मश) अ० ५२० मसग (मशक) उ०१५२४१६।३१; ३६।१४६. नं गा० ४४ मसा (मशक) उ० २१।१८ मसाण (श्मशान) द० १०१२ मसारगल्ल (मसारगल्ल) उ० ३६।७५. १० १५, उ० ५।१६,२६; ७९ मरणकाल (मरणकाल) उ० ३०१६ मरणविभत्ति (मरणविभक्ति) नं० ७७. जानं०८ मरणविसोहि (मरणविशोधि) जोनं० ८ मरहट्ठय (महाराष्ट्रज) अ० ३३३ मरिज्जिउं (मतम) द०६।१० मिरिस (मृष)-- मरिसेहि उ० २०१५७ मरु (मरु) उ०१६।५० . मरुंडी (मरुण्डी) नि० ६।२६ मरुगवच्च (मरुकवर्चस्) नि० ३७७ मरुदेवी (मरुदेवी) प०१६१,१६२ मरुपक्खंदण (मरुप्रस्कन्दन) नि० १११६३ मरुपडग (मरुपतन) नि० १११६३ मल (मल) आ० २१५; ५।४।५. द० ८.६२; ६।५५. उ० ११४८, ४७; ५११०, २५२१. अ० ३१५ मल (दे०) नि० ३१६७,४।१०५; ६१७६, ७।६५; ११।६२; १५६६,१५०; १७१६६,१२० मलत्त (दे० मलत्व) दसा० ७।२२ मलय (मलय) अ० ४३ मलय (दे०) नि० ७१० से १२; १७।१२ से १४ मलयवतिकार (मलयवतीकार) अ० ३६४ मलिण (मलिन) नि० ६।२२ मल्ल (माल्य) द० ३।२. उ०२०।२६; ३५१४. अ० १६,२०. दसा०६।३; १०.१७. प० २५,४८,५८,६१,६४,६६,७५,११३,१६५ मल्ल (मल्ल) अ०८८,३४५. ५०६२,७४. नि० ६।२२ मल्लइ (मल्लकिन्) प० ८८ मल्लग (दे०) नं० ५१,५३ मल्लजुद्ध (मल्लयुद्ध) दसा० १०।११.५० ४२ मल्लदाम (माल्यदामन्) दसा० १०॥३,११,१४, १५,२४. प० २६,४२,६२,६४ मल्लदास (मल्लदास) अ० ३४५ मल्लदिण्ण (मल्लदत्त) अ० ३४५ मसी (मषी) अ० ३१६ मसूर (मसूर) दसा० ६३ मसूरय (मसूरक) प० ४३ मह (महत्) द० ५।६६; ६।१६,१०१२०; चू० १६१०. उ० १०॥३४; १३।१२; १४।१८%; १८१२,१८; १६५०,६७,६८; २०१५३; २१।११,२४,२३१६५,६६.नं० गा० १७; सू० ३८१४. अ० ४१६. दसा० १०।१७,२४, २७.५० २४,७५. नि० १२२७,१७४१४६ महंत (महत) उ० १६।१८,१६, ३२।१०५. नं० गा० ३४; सू० १७. प० ३० महग्गह (महाग्रह) प० ८६ से ११ महग्ध (महाघ) द०७।४६. ५० ४२,४४ महज्जुइ (महाद्युति) उ० ११४७ महज्जुइय (महाद्युतिक) दसा० १०१२२,२३ महड्ढिय (महद्धिक) उ० ५।२५ महण्णव (महार्णव) उ० १६१०; ३२११०५. क० ४।२६. नि० १२।४३ महता (महत्) दसा० १०।२४. ५० ७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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