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नरपतिजयचर्या
अथअहिवलयचक्रभाषा। जिस मकानमें रक्खी हुई दौलत भूल गई हो उसमें निम्न लिखित सर्पाकार चक्र बनानेसे मालूम होती है । जो लोग इस चक्रको जानते हैं वे देवसाधक हैं द्रव्य हड्डी कोयला तथा शून्य स्थानको बतलाते हैं ।
इस चक्रमें २८ घर होते हैं इसीमें अट्ठाइसों नक्षत्र कृत्तिकाके क्रमसे लिखे जावेंगे। इसके पश्चात् तत्काल चन्द्रमाका विचार करना चाहिये जिस नक्षत्रपर सूर्य चन्द्रमा हों द्रव्य, हड्डी, कोयला तथा शून्यस्थानका विचार करै। कुल २८ नक्षत्रों से १४ सूर्य और १४ चन्द्रमाके नक्षत्र हैं।
चन्द्रमाके नक्षत्र । अश्विनी १ भरणी २ कृत्तिका ३ आर्दा ४ पुनर्वसु ५ पुष्य ६ आश्लेषा ७ मघा ८ रेवती ९ पूर्वभाद्रपद १० पूर्वाषाढ ११ उत्तराषाढ १२ श्रवण १३ धनिष्ठा १४ इससे जो शेष हैं वही सूर्यके नक्षत्र हैं।
शून्य स्थान । चन्द्रमा सूर्यके नक्षत्रमें हो और सूर्य चन्द्रमाके नक्षत्रमें हो तो न हड्डी न कोयला है न द्रव्य, शून्य स्थान है।
द्रव्यस्थान । यदि रक्खा हुआ द्रव्य हो और चन्द्रमा क्रूर ग्रहके संगमें हो तो रक्खा हुआ द्रव्य भी न मिलै यदि चन्द्रमा बलवान् होके अपने नक्षत्रमें हो तो द्रव्य अवश्य है।
शल्यस्थान । यदि चन्द्रमा सूर्यके साथ हो तो हड्डी कोयला जानना चाहिये ।
द्रव्य कितनी दूरपर है। चन्द्रमाका नवांश विचार करके भूमिके नीचे मालूम करना चाहिये कि कितनी दूरपर है।
धातुका ज्ञान । तत्कालमें चन्द्रमा जितने अंश आवै उसीसे धातुका ज्ञान करना चाहिये । सोना १ तार २ तांबा ३ रिक्ता ४ रत्ल ५ लोहा ६ नाग ७ ।
तत्काल चन्द्रमा बनानेकी विधि । प्रातःकालसे जितनी घटी व्यतीत हुई हों २८ से गुणाकर और ६० से भाग ले शेष जो रहै वह दिनके चन्द्रमा बीते हुयेमें जोडदे वही तत्कालचन्द्रमा हो जायगा।
तत्काल सूर्य। चन्द्रमाकी भांति सूर्यका भी तत्काल बनाना चाहिये । इसी तत्कालको इष्टकाल समझना चाहिये।
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