Book Title: Nalayanam
Author(s): Manikyadevsuri
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________ सप्तम नल परीक्षा // सर्गः३ // 164 // AHATIAHITI AHIकताबाद इस्युक्त पत्रपात्र्यां तत् कुब्जेन परिवेषितम् / अन्नं तत् किश्चिदादाय देव्याः पार्श्व जगाम सा // 48 // पुत्रवात्सल्यमुख्यं तत् कुब्जवृत्तं निवेद्य सा / तदन्नं पुरतो देव्याः सविस्मयमदर्शयत् // 49 // ततोऽनुभूतपूर्व तत् भोज्यमास्वाद्य सावदत् / अनेन कर्मणा नूनं सर्वथा नल एव सः // 50 // द्वितीयो यदि मेरुः स्यात् तृतीयः पक्ष एव वा / हव्यवाहश्चतुर्थो वा वेदो वा यदि पञ्चमः // 51 // षष्ठत्रिदशवृक्षो वा ऋतुर्वा यदि सप्तमः / स्वरः स्यादष्टमो यद् वा नवमो वा कुलाचलः // 52 // रसो वा दशमोऽप्यत्रैकादशो वा दिगीश्वरः / द्वादशो यदि वा रुद्रः सूर्यो वापि त्रयोदशः / // 53 // चतुर्दशो यक्षराजः पूर्वाणि दशपश्च च / निधिः षोडशसंख्यां का परमा धार्मिकाथवा // 54 // कला सप्तदशा वा स्यात् सुवर्णकाधिकं च चेत् / अष्टादशविधं मक्षजा वा एकोनविंशति // 55 // नलवर्ज परः पृथ्व्यां तद् भवेत् सूर्यपाकवित् / वैरसेनिरयं नूनं किमुक्तैर्बहुभिर्मम // 56 // चतुर्भिः कलापकं / तमित्युक्तवतीं पुत्री माता सोत्साहमत्रवीत् / वत्से ! नलोऽयमित्युच्चैः कुब्जे चेत् तव निश्चयः // 57 // तदयं त्वत्समीपेऽपि तावदानेष्यतेऽधुना / पश्चाद् यथा तथा वा त्वं तद् व्यक्तिं कर्तुमर्हसि // 58 // युग्मम् // इति पटुतरमुक्त्वा भोजनानन्तरं सा विपुलमतिरनुज्ञां भीमराज्ञो गृहीत्वा / नरपतिमुपनेतु कुब्जरूपं नलं तं विनयनयसुशीलान सौविदल्लान् दिदेश // 59 // भर्तुर्नलस्य ननु कुब्जमिमं प्रपत्रं वात्सल्यतः किल दिक्षति राजपुत्री.] IIIतIतातIIISEle // 16 //

Page Navigation
1 ... 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398