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का साथ-साथ कल्याण हो, साथ-साथ भला हो, साथ-साथ संरक्षण हो, हम सब विद्यावान हों, शक्तिमान हों, तेजस्वी हों, हमारे पाप-ताप-संताप का नाश हो। ___मंदिर में जाओ तो केवल अपने लिए ही प्रभु से दुआ मत माँगना। अपने साथ अपने माता-पिता के लिए भी प्रभु का आशीर्वाद माँग लेना। घर के मुखिया हो, तो पूरे परिवार के लिए सुख और शांति की कामना करना। गुरु हो, तो शिष्य के लिए भी सुख की प्रार्थना करना, सभी के कल्याण की कामना करना।
केवल ख़ुद का भला चाहने वाला तो स्वार्थी होता है। सबका भला चाहने वाला परमार्थी होता है। गुरु का पथ परमार्थ का पथ है। गुरु के चरणों में बैठकर उपनिषदों का पारायण करना, उपनिषदों के ज्ञान का अर्जन करना, गंगा में स्नान करने जैसा ही है। गुरु के चरण गंगा के समान ही कहे गए हैं। गुरु के चरण तीर्थ के समान हैं। गुरु के चरणों में बैठना गंगा-स्नान करने जैसा है। गंगा नहाने से तो केवल तन का मैल धुलेगा, गुरु के पास बैठकर ज्ञानार्जन करने से मन का मैल धुलेगा। अज्ञान का अँधेरा छंटेगा। हम सब लोग अपने ही अँधेरों में भटक रहे हैं, अज्ञान की मूर्छा के अँधेरों में। गुरु का काम यही है कि वह हमें मूर्छा के अँधेरों से बाहर निकाले। जो सोते हुए को जगा दे, वही सच्चा गुरु है। ‘य एषु सुप्तेषु जागर्ति', जो सोये हुओं के बीच भी जागृत रहे, उसका नाम है गुरु।।
हम गुरु के चरणों में इसलिए बैठते हैं क्योंकि मूर्छा में हैं, अज्ञान की अंधेरी गुफाओं में भटक रहे हैं। वहाँ बैठने से हमें आध्यात्मिक ज्ञान की रोशनी मिलेगी। हम आध्यात्मिक ज्ञान के पथ पर चल पाएँगे। गुरु शब्द का अर्थ होता है - जो हमारे भीतर के विकारों को दूर करे, जो हमारे जीवन को तमस से निकाल दे, अँधेरों से हमें रोशनी में ले आए।
अँधेरा यानी तमोगुण और रोशनी यानी सतोगुण। प्रत्येक प्राणी में तीन गुण होते हैं, तमोगुण, रजोगुण व सतोगुण। ये तीनों हर किसी में किसी-न-किसी रूप में समाहित रहते हैं। इनका प्रतिशत अलग-अलग हो सकता है। प्रकृति गुणों के आधार पर चलती है। किसी में कोई गुण होता है, तो किसी में कोई गुण। जो लोग कारागार में कैद हैं, उनके लिए यह न समझें कि वे पूरी तरह ग़लत ही होंगे। कारागार में कैद व्यक्ति में भी दो सद्गुण हो सकते हैं। जो सद्गुणी कहलाते हैं, उनमें भी दो अक्गुण मिल सकते हैं। हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों हो सकती है। अच्छाइयाँ जीने के लिए हुआ करती हैं और बुराइयाँ दूर करने के लिए होती हैं।
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