Book Title: Mayavi Rani
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मायावी रानी १. कुमार मेघनाद www.kobatirth.org १. मायावी रानी और कुमार मेघनाद नगरी का नाम था रंगावती ! राजा का नाम था लक्ष्मीपति ! रानी का नाम था कमला ! Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राजकुमार का नाम था मेघनाद ! यह कहानी है राजकुमार मेघनाद की ! राजा लक्ष्मीपति ने बृहस्पति जैसे पंडितों को रखकर मेघनाद को विद्याभ्यास करवाया था। मेघनाद ने चौदह विद्याएँ सीख ली थी। छत्तीस तरह के दंड - आयुध की कलाएँ उसने सीखी थी। अर्जुन को भी भुला दे, वैसा वह धनुर्धारी बना था। मनुष्यों की सभी भाषाएँ तो वह जानता ही था... पशु-पक्षियों की भाषा में भी वह निष्णात था। शिल्प कला में तो विश्वकर्मा को भी पराजित करे वैसी निपुणता उसने प्राप्त की थी । अष्टांग निमित्त में वह पारंगत बना था । निमित्तशास्त्र के ज्ञान से वह भूतकाल की, भविष्यकाल की और वर्तमान की गहन-गंभीर बातें भी जान लेता था, कह सकता था । लोग उसे 'त्रिकालज्ञानी’ के नाम से भी जानते थे! १ वह जितना रूपवान था, ज्ञानवान था... और कलाकार था... उतना ही वह गुणवान था... विनम्र था। इन्सान की जिन्दगी में कभी-कभार अनहोनी - असाधारण घटनाएँ हो जाती हैं। छोटा सा भी निमित्त या प्रसंग आदमी के जीवन में अनेक घटनाओं की भरमार कर देता है । मेघनाद ने पूछा : 'हे पथिक... तू अपना परिचय देगा क्या?' ‘मैं चंपानगरी के श्रेष्ठि धनदत्त का पुत्र 'सुधन' हूँ।' एक दिन मेघनाद अपने मित्रों के साथ नगर के बाहर बगीचे में बैठा था । मित्र लोग आपस में आनंद-प्रमोद की बातें कर रहे थे। इतने में मेघनाद ने कुछ दूरी पर बैठे हुए एक यात्री को देखा। यात्री और मेघनाद की आँखे मिली। मेघनाद ने उसे इशारे से अपने पास बुलाया । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 155