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४२ :
जिन्होने
वाल्य वय मे फणधर वेषी सगम देव के
और
उच्छू खल मत्तगयदो के मद चूर-चूर किये
कुमार-वय मे
अनग अप्सराओ के रति भावो को विरतिभाव से परास्त किया
तारुण्य मे
परिशुद्ध आत्मा से कचन काया की किट्टिमा तपान द्वारा प्रथक की ऐसे
अनुभव वृद्ध जन्म जरा-मृत्यु से रहित अक्षय अनत पद से विभूपित
श्री महावीर प्रभु को
कोटि कोटि नमन
परम-पुनीत पच्चीस वे शतक पर नाव-भीनी विनयाञ्जलि
अर्पयिता
सेठ विजय नारायण वीरेन्द्रनारायण
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जगतटाकोज डिस्टीब्यूटर्स
चादनी चौक देहली ११०००६