Book Title: Mahavira Chitra Shataka
Author(s): Kamalkumar Shastri, Fulchand
Publisher: Bhikamsen Ratanlal Jain

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Page 320
________________ अग्निकुमार देवों के मुकुटो की अग्नि द्वार अन्तिम संस्कार अग्निकुमार देव नत मुकुटो द्वारा प्रकटित हुई कृशानु । उसके द्वारा दग्ध हुए उनके कर्पूरी तन परमानु । रत्न-वृष्टि करके देवो ने पावापुर जगमगा दिया। कार्तिक कृष्ण अमावस निशि का मोह महातम भगा दिया । (१४८)'

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