Book Title: Mahavira Chitra Shataka
Author(s): Kamalkumar Shastri, Fulchand
Publisher: Bhikamsen Ratanlal Jain

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Page 303
________________ महत्वाकांक्षी पुष्पक ज्योतिषी का आत्म समर्पण श्वेताम्बर शास्त्रो से आधारित जिन्हे अकिचन समझा मैने वे तो सचमुच बहुत बडे है । सम्राटो के वैभव सारे पद-रज मे ही भरे पड़े है || अत शीघ्र ही सामुद्रिक वह दभ छोड चरणो मे आया । वीर चरण चिह्नों पर चल कर उसने निज भव्यत्व जगाया ॥ ( १३१)

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