Book Title: Mahavira Chitra Shataka
Author(s): Kamalkumar Shastri, Fulchand
Publisher: Bhikamsen Ratanlal Jain

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Page 315
________________ वीर-दर्शन-पिपासु मेढक का उद्धार | (राजाश्रेणिक का हाथी परदर्शनार्थजाते हुवे)। I RImms UTTube MAP HINDI - - K MTARI (NONO LP DAMOD 27 INHSOracae PARIES RIDDHANE - - - II " V/NE . M - 21-42--- एक कप मड्क भक्ति वश कमल पखुडी लेकर आया । श्रेणिक के गजराज पैर से कुचल शीघ्र ही सुर-पद पाया ।। भाव भक्ति का ही महत्व है द्रव्य भक्ति पीछे चलती है। व्यवहारो की माया सचमुच निश्चय छाया मे पलती है। ( १४३ )

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