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जिनकी
परमशांत सौम्यमुद्रा भव्य जीवों के स्वानुभव में अनुकूल निमित्त वनती है
तथा
जिनकी दिव्यध्वनि खिरती तो है उनके वचन योग से
परन्तु सौभाग्य जगाती है भव्य जीवो का
__ ऐसे १००८ श्री वीर प्रभु के चरणो में
शत शत अभिनन्दन
परम पुनीत पच्चीसवे शतक पर भाव-भीनी विनयाञ्जलि
अर्पयिता -- नानकचन्द्र जैन एवं राकेशकुमार जैन
प्रोमपट ट्रॉसर्पोट्स १२७२ वकीलपुरा देहली-११०००६