________________
. ४५ . सत्य और अहिंसा ही 'विजय' का प्रतीक है
अतएव जिन्होने असत् एव अनात्मा पर विजय पाई
और
'वीर भोग्या वसुन्धुरा' की
परम्परा गत नीति को चुनौती देकर
वीर त्याज्या वसुन्धरा
का विजय स्तम्भ त्रिभुवन के वक्ष के ऊपर रोया
उन्ही
१००८ श्री महावीर जी के श्री चरणों में
हमारा वारम्बार नमस्कार परम-पुनीत पच्चीस वे निर्वाण शतक पर भाव-भीनी विनयाञ्जलि
अर्पयिता --
विनोदकुमार विजय कुमार जैन १३१४ वैद्यवाडा दिल्ली ११०००६