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मानवता के उद्धारकः भगवान महावीर
आओ आओ सुनो कहानी मानवता उत्थान की। सत्य-अहिंसा के अवतारी, महावीर भगवान की।
परिस्थिति मानव-मानव मध्य वढ रही भेद भाव की खाई थी। पशुओ मे थी त्राहि त्राहि, हिंसा से भू थर्राई थी। धर्म नाम पर द्वेप दम्भ, आडम्बर की वन आई थी। स्वार्थ, असत्य, अनैतिकता से, मानवता मुरझाई थी। आओ०
अवतरण
प्रान्त विहार पुरी वैशाली, राजा थे सिद्धार्थ सुजान । चैत मुदी तेरस को माता त्रिशला से उपजे गुणखान ।। श्री वृद्धि . सर्वन हुई थी, जनता ने सुख पाये थे । इससे जग मे त्रिशला-नदन वर्द्धमान कहलाये थे ।आओ० मदोन्मत्त हाथी के मद को, चूर 'वीर' पद प्राप्त किया। दर्शन से शकाये मिट गई, मुनि जन 'सन्मति' नाम दिया । तरु लितटे विपधर को वश कर, महावीर कहलाये थे। सर्व हितैपी शान्तवीर के, सव ने ही गुण गाये थे ॥ आओ०
वैराग्य और ज्ञान प्राप्ति भोग-रोग, सम्पद् विपत्ति है, जव यह भाव समाया था। कामजयी ने तीस वर्ष मे दीक्षा को अपनाया था। सर्व परिग्रह त्याग, वर्ष वारह, वन वीच विताये थे । मोहादिक कर नष्ट, सर्व जाता अरिहंत कहाये थे ।। आओ०