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भगवान महावीर स्वामी के जन्म- लग्न का फलितार्थ
ले० ज्योतिषाचार्य श्री त्रिलोकीनाथ जी जैन, २३४१ धर्मपुरा, देहली
अहिंसा के अवतार भगवान महावीर स्वामी के जन्म के समय निर्मल नभ-मंडल मे मकर लग्न उदय मे थी । मकर लग्न मे मंगल और केतु ग्रह अवस्थित है । द्वितीय स्थान मे कुंभ राशि है । तृतीय स्थान मे मीन राशि है । चतुर्थ स्थान मे मेष राशि के अन्तर्गत सूर्य और बुध हैं । पचम स्थान मे शुक्र वृष राशि गत है । षष्टम् स्थान मे मिथुन राशि है । सप्तम् स्थान मे कर्क राशि मे राहु गुरु है, अष्टम स्थान मे सिंह है । नवम् स्थान मे चन्द्र कन्या राशि के अन्तर्गत है । दशम् स्थान मे शनि तुला राशि के अन्तर्गत अवस्थित है । एकादश स्थान मे वृश्चिक राशि है तथा द्वादश स्थान मे धन राशि विद्यमान है |
लग्न मे मंगल मकर राशि मे उच्चता को प्राप्त है । यदि मगल अपनी उच्च राशि मे अथवा अपनी मूल त्रिकोण राशि मे या स्वराशि में होकर केन्द्र मे स्थित हो तो 'रुचक' नाम का योग बनता है ।
रुचक योग मे जन्म लेने वाले मनुष्य का शरीर अत्यन्त वलिष्ठ और वज्रमयी होता है । अपने सम्यक् विचारो तथा सत्कार्यों से वह विश्व मे प्रसिद्धि प्राप्त करता है । रुचक योग वाला जातक सम्राट् या सम्राट् के समकक्ष होता है । उसकी आज्ञा की कोई अवहेलना नही करता अर्थात् प्राणिमात्र उसकी आज्ञा मानने के लिये सदा सर्वदा तैयार रहते हैं । रुचक योग वाला महापुरुष अपने भक्त और श्रद्धालुजनो से चारो ओर से घिरा