Book Title: Mahavira Charit
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad
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कणकी वगरना आखा शालितंदुलनी खीर बनाववानी तैयारी करता हता. ए रीते पायस-खीर पकवनारा गोवाळियाने जोईने गोशालके भगवानने का हे भगवन् ! मने बहु ज भूख लागी छे. भूख्यो थयेलो हुं हेरान थई रह्यो छु, तो आप अहीं आ तरफ आवो अने तैयार थता पायसने आपणे जमीए. बोलवानी तक घणे वखते मळतां सिद्धार्थे कह्यु-हे भला माणस ! तुं दुःखी न था, खीर अडधी पाकतां ज आ थाळी फसकी पडशे. आ वात सांभळी सिद्धार्थनुं वचन खोटुं पाडवाना विचारथी पोताना दुष्टरीते बोलकणा स्वभावने लीधे गोवाळियाओ पासे जईने गोशाले का-अरे ! आ देवार्य भूत भविष्यनो जाणकार छे. ते एम कहे छे के, खीरनी आ थाळी अडधी खीर चडवा आवशे त्यां ज फसकी पडशे माटे तमे आ थाळी फसकी न पडे ए रीते तेने प्रयत्नपूर्वक स्थिर करो. आ आ सांभळीने ते गोवाळियाओ भयभीत थया अने वांसना पांदडांओ वडे मजबूत रीते थाळीने वींटीने रांधवा लाग्या. पण आ थाळीमां माय तेनां करतां वधारे चोखा भरेला होवाथी हसती एवी थाळी आंख उघाडीए एटली वारमा फूटी गई. पछी तो गोवाळिया थाळीनी खीरथी खरडायेल ठीब के कांठो जे हाथमां आव्यु तेने लईने चाटवा लाग्या. गोशालो पण कंदोईना बिलाडानी पेठे ए बधुं जोतो विलखो-भोठो पडयो अने आ बनाव बनवाथी तेणे हवे सारी रीते नियतिवादनो स्वीकार को. हवे स्वामी ब्राह्मणगाम गया. आ गाममां बे पाडा-महोल्ला हता. नंद अने उपनंद नामना बे भाईओ गामना स्वामी हता. भुवनगुरु पण छट्ठा तपना पारणा माटे नंदना वाडामां
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