Book Title: Mahavira Charit
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad
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[पृ०२९] हवे त्यां अनार्य देशमां फरतां फरतां अने आवां घोर दुःखोने सहन करतां करतां भगवान पोताना घणां घणां कर्मोनी निर्जरा करी शक्या अने पछी तेओ जेनी वांछा पूर्ण थई छे एवा मनुष्यनी पेठे आर्य देशो तरफ विहार करवा सारु वळ्या. १०
हवे ज्यारे भगवान आर्य देश तरफ विहार करवाने वळता हता त्यारे रस्तामां आवता पूर्णकलश (के पुण्यकळश) ग्राम नामना संनिवेशनी पासे आवतां तेमने बे चोर सामा मळ्या. ए चोर लाढा देशने लूंटवा जता हता, ए माटे जेवा तेओ नीकल्या के तरत आमने एटले गोशाला साथेना भगवानने सामे मळेला जोईने 'आ अपशुकन थया' एम समजी जमनी जीभ जेवी भयंकर तरवार उगामीने ए चोरो भगवाननी सामे दोडया. बराबर आ वखते ज इन्द्रने एवं जाणवानो विचार थयो के हमणां भगवान कया प्रदेशमां विचरे छे ? आ जातना समाचार मेळववा इन्द्र पोताना अवधिज्ञाननो जेवो प्रयोग करवा गया तेवामां ज भगवानथी थोडा ज दूर रहेला अने खेंचेली तर बार हाथमा राखीने मारी नाखवा सारु भगवाननी पासे पहोंचेला बे चोरोने इन्द्रे जोया हवे एवं जोतां ज इन्द्र कोपी उठचो. तेने तीव्र कोपनो आवेग आवतां ज ज्यां ते बेठो हतो त्यांथी ज ऊँचामां ऊँचा गिरिशिखरने तोडी पाडे एवा समर्थ वज्रने ते चोरो उपर फेंकी ते बन्नेनो वध करी नाख्यो. हवे स्वामी पण गाम गाम अनुक्रमे फरता फरता भद्दिलनगरी पहोंच्या. त्यां तेमनुं पांचमुं चोमासुं थयुं. भगवान विचित्र आसनो वगेरे करीने कठोर तप करता हता. आ वस्वते भगवाने चारे महिनाना उपवास करेला एटले चातुर्मासिक मासस्वमण
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