Book Title: Mahavira Charit
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

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Page 85
________________ ८० • गम माटे उस्सुक होय छे तेम कुमार सूरसेन रत्नावलीना समागम माटे उत्सुक छे. ए रीते तेणे कुमारने जोई दूरथी ज कुमारे राजाने प्रणाम कर्या, कुमारने खूब भेटीने दृढ आलिंगन करी राजाए तेनुं अभिनंदन कर्यु. मोटी धामधूम साथे तेनो नगरमा प्रवेश कराव्यो अने उचित स्थाने जानीवासो आप्यो आने बीजुं पण जे कांई तत्काळ करवा जेवुं हतुं ते बधुं करवामां आव्युं क्रमे करीने विवाहनो दिवस आवी पहोंच्यो, कुमार सूरसेनने नवराववामां आव्यो, सुंदर आभरण पहेराववामां आव्यां, उत्तम सुंदर हाथी उपर ते कुमार बेठो. पछी शंख तथा कांसाजोडमांथी नीकळता गंभीर तथा वाजाओमांथी नीकळता अवाजथी दिशाओनुं मंडळ भराई गयुं, कुमारनी पाछल हाथमां सोनाना दांडावाळा ध्वजो लइने अनेक माणसो चालवा लाग्या, वरघोडामां धवळ मंगळो ने उत्तम नारा साथे नाटको करनाराओथी रस्तो सांकडो थई गयो, विस्तारवाळां-लटकतां उत्तम कपडां परेली अने नाचवाथी धूळ उडवाने लीधी मेली थयेली एवी वेश्याओनो समूह मनोहर ताल साथे ए वरघोडामां नाचतो हतो. आ रीते मोटी धामधूम साथे शूरसेनकुमार विवाहना माडवामां आवी पहोंच्यो. [पृ०४९] पछी त्यां तेनी सासुए जे करवानुं उचित हतुं ते कर्तुं एटले तेने पोख्यो अने पछी तेने कौतुक घरमा एटले ज्यां कन्या बैठी हती त्यां एटले मायरामां कुमारने मोकलवामां आव्यो. त्यां तेणे अंगे लगाडवाना विविध वर्णकोथी लेपायेली, अंगेअंगमां उत्तम रत्नोनां घरेणाओथी सुशोभित थयेली, निर्मळ रेशमी बे वस्त्रो पहेरेली, उत्तम चंदनथी लेपायेली तथा सुगन्धी घोळां फूलोनी माळाओथी लदायेली For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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