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आइंस्टीन ने मरने के पहले कहा था- किसी ने पूछा था, तीसरे महायुद्ध में किन अस्त्रशस्त्रों का प्रयोग होगा? आइंस्टीन ने कहा, तीसरे का तो मुझे पता नहीं, लेकिन चौथे के बाबत मुझे मालूम है। पूछने वाला हैरान हुआ होगा। तीसरे के बाबत ज्ञात नहीं है, चौथे के बाबत क्या ज्ञात है! उसने पूछा, क्या ज्ञात है? आइंस्टीन ने कहा, अगर चौथा महायुद्ध हुआ, जिसकी कोई संभावना नहीं है, तो आदमी पत्थर के औजारों से लड़ेगा। क्योंकि तीसरा उसके सारे विकास को, उसकी सारी समृद्धि को समाप्त कर देगा। संभावना तो इसकी है कि उसको परिपूर्णतया नष्ट कर दे।
जो हिंसा और जिस हिंसा के प्रति महावीर और बुद्ध ने और ईसा ने चेताया था–हिंसा की अंतिम परिणति महामृत्यु हो सकती है, और कुछ नहीं। वह हिंसा धीमी थी, अल्प थी, चलती गई। उस हिंसा के कारण जीवन नहीं चल रहा था, हिंसा टोटल नहीं थी, हिंसा आंशिक थी, शेष अहिंसा थी जीवन में। इसलिए हिंसा के साथ भी मनुष्य चलता रहा।
पहली बार हम ऐसे स्थान पर आए हैं, जहां हिंसा टोटल हो सकती है, जहां हिंसा समग्र हो सकती है। समग्र हिंसा के बाद जीवन की कोई संभावना नहीं है। हिंसा पूर्ण हो जाए, स्वयं अपना आत्मघात कर लेती है। वे हिंसक प्रवृत्तियां, जिनका सारे धर्मों ने विरोध किया है, विशेषतया श्रमण धर्मों ने जिस हिंसा के लिए पच्चीस सौ वर्ष पहले आवाज उठाई थी, वह भविष्यवाणी पूरे होने के करीब पहुंच रही है। जो आने वाला संभावी युद्ध होगा, वह किसी तरह के प्राण को जमीन पर नहीं बचने देगा।
मैं पढ़ता था, मैंने सुना, पानी को हम गर्म करते हैं, सौ डिग्री पर पानी भाप हो जाता है। लोहे को अगर गरम करें, पंद्रह सौ डिग्री पर लोहा पिघल कर पानी हो जाता है। पच्चीस सौ डिग्री पर लोहे का जो पानी तरल रूप है, वह भाप बन कर उड़ जाता है। एक हाइड्रोजन बम कितनी गर्मी पैदा करेगा, आपको ज्ञात है? दस करोड़ डिग्री! पच्चीस सौ डिग्री पर लोहा भाप होकर उड़ जाता है। एक हाइड्रोजन बम दस करोड़ डिग्री गर्मी पैदा करेगा! क्या बचेगा उस उष्णता में? उस उत्तप्त में ऐसा प्रतीत होगा, जैसे सरज जमीन पर उतर आया हो। किसी तरह के जीवन की कोई संभावना न रह जाएगी।
एक हाइड्रोजन बम पैंतालीस हजार वर्गमील क्षेत्र को प्रभावित करता है। इंग्लैंड, फ्रांस या पश्चिमी जर्मनी जैसे देश को नष्ट करने को केवल पंद्रह हाइड्रोजन बम पर्याप्त हैं। और आपको ज्ञात है, सारी दुनिया में इस समय तैयार हाइड्रोजन बम की संख्या पचास हजार है। ये पचास हजार हाइड्रोजन बम इस तरह की तीन जमीनों को नष्ट करने को पर्याप्त हैं।
और प्रति घंटा-मैं घंटे भर बोलूंगा–प्रति घंटा पचास करोड़ रुपया इस तरह के विनाशक अस्त्रों को तैयार करने में सारी दुनिया में खर्च हो रहा है! प्रति घंटा! दो घंटे में एक अरब रुपया! चौबीस घंटे में बारह अरब रुपया! जब कि हर तीन आदमियों में दो आदमी भूखे हैं! जब कि हर तीन आदमियों में पूरी जमीन पर दो आदमी नंगे हैं। तो हम जरूर कुछ पागल हो गए हैं। हम जरूर विक्षिप्त हो गए हैं। ये सभी होश में नहीं हैं। हम कुछ नशे में हैं और जैसे हमें कुछ पता नहीं हम क्या कर रहे हैं! हमारे हाथ हमारी मौत का आयोजन कर रहे हैं, इसमें हमें कुछ भी ज्ञात नहीं है!
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