________________
११
वाणी कुण्ठित है
ब्रह्माण्ड का सर्वाधिक वाचाल प्राणी-मनुष्य आज बहुत बोल कर भी मक है। उसकी वाणी निकम्मी साबित हो रही है। वह लगातार बोलता ही रहा है जितना बोला गया और बोला जा रहा है, यदि वह कागज पर उतारा जाए या टेप में बन्द किया जाए तो हमारे सारे कागज-भण्डार, कलम-कारखाने और टेप यन्त्र अति लघु लगेगे। अपना बोला अब अपनी ही पकड से बाहर है, फिर भी बोलना निरन्तर जारी है। चुप वह रह नहीं सकता, यह उसके लिए बहुत बडी सजा होगी। वावजूद इस तथ्य के कि वह चुप नहीं रह सकता, उसकी वाणी फेल हो गयी है-कुण्ठित है, गतिहीन है । ___ इसे भी पैरॉडॉक्स (विरोधाभास) ही समझिये कि आदमी वाणी के मामले में बहुत समृद्ध है । उसके पास लगभग दो हजार भाषाएँ है और उन्नत बोलिया। कुछ भाषाएँ श्री-सम्पन्न हैं, लाखो अद्भुत ग्रन्थो की
७२
महावीर